क्या भारत में रिटेल निवेशक ‘अक्षम’ निवेशक हैं? निखिल कामथ (ज़ेरोधा) ने क्या कहा
ज़ेरोधा के निखिल कामथ जी ने हाल ही में इस सवाल पर अपनी राय दी है की क्या भारत के छोटे निवेशक निवेश करने में अक्षम है। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने “एक्स” ऍप के जरिए पोस्ट कर कुछ आंकड़े पेश किये। और उसकी साथ उन्होंने यह लिखा है की “Contrary to the general belief that retail investors are incompetent at investing, their top holdings tell a different story. Looks like they tend to invest in companies that are well-known and favoured among consumers, indicating a strategy that leans towards businesses with strong brand recognition and consumer appeal.”
Contrary to the general belief that retail investors are incompetent at investing, their top holdings tell a different story. Looks like they tend to invest in companies that are well-known and favoured among consumers, indicating a strategy that leans towards businesses with… pic.twitter.com/vFfUHk9gfp
— Nikhil Kamath (@nikhilkamathcio) March 1, 2024
“आम धारणा है की रिटेल निवेशक निवेश करने में अक्षम हैं, उसके विपरीत उनकी ज्यादातर शीर्ष हिस्सेदारी के आंकड़े एक अलग कहानी बताते है। आंकड़ों को देख ऐसा लगता है कि वे उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो उपभोक्ताओं के बीच प्रसिद्ध और पसंदीदा हैं, जो एक ऐसी रणनीति का संकेत देता है, जो मजबूत ब्रांड वाले व्यवसायों की ओर झुकती है।”
कामथ ने एक्स पर एक पोस्ट में दावा किया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, लार्सन एंड टुब्रो, टीसीएस और इंफोसिस जैसी प्रसिद्ध कंपनियां भारतीय व्यक्तिगत निवेशकों की शीर्ष होल्डिंग्स में से थीं।
बीएसई के जारी किए आंकड़ों के अनुसार, 9 फरवरी, 2024 तक रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या लगभग 161 मिलियन थी।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने कहा कि 31 जनवरी, 2024 तक, 79.2 मिलियन एसआईपी खाते सक्रिय थे, जिनके माध्यम से व्यक्ति भारत में विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश कर रहे थे।
एएमएफआई के आंकड़ों से पता चला है कि इस महीने इन खातों से 18,838 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड एसआईपी योगदान देखा गया।
यह योगदान जनवरी 2023 में एसआईपी से दर्ज किए गए योगदान से 36 प्रतिशत अधिक था।