Dividend in Hindi: भेट, उपहार किसे अच्छे नहीं लगते। हम सभी चाहते है की हमें भेट, उपहार मिले। क्योंकि वो मुफ्त होते है। लेकिन क्या आपको पता है की, जब हम किसी कंपनी के शेयर खरीदते है। और अगर वह कंपनी किसी नियत अवधि में अच्छे प्रॉफ़िट्स बनाती है। तब वो कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को भेट स्वरुप में डिविडेंड (Dividend) यानि लाभांश प्रदान करती है। यानि कंपनी अपने प्रॉफ़िट्स का कुछ हिस्सा अपने शेयर होल्डर्स को अदा करती है।
लाभांश (dividend) क्यों दिया जाता है?
इसके पीछे कंपनी के कुछ छुपे उद्द्येश्य भी होते है, जैसे की डिविडेंड देकर कंपनी अपने शेयर होल्डर को विश्वास दिलाती है की कंपनी अच्छा काम कर रही है। और इससे प्रेरित होकर शेयर होल्डर्स कंपनी में और अधिक निवेश करने की संभावना बढ़ती है।
अब ऐसा करना कंपनी के लिए बंधनकारक नहीं होता। यानि इसका निर्णय उस कंपनी पर ही निर्भर करता है। कंपनी चाहे तो लाभांश दे सकती या नहीं भी। कभी-कभी कुछ कंपनिया अपने प्रॉफ़िट्स को कंपनी की वृद्धि के लिए कंपनी में ही पुनः निवेश करते है।
डिविडेंड के प्रकार
- नकद लाभांश (Cash Dividends): यह सबसे नॉर्मल डिविडेंड प्रकार है। इसमें कंपनी सीधे तौर पर शेयरधारकों के बैंक खातों में डिविडेंड की रकम जमा कर देती है। या फिर कुछ मामलो में चेक के स्वरूप में अदा करती है। डिविडेंड की रकम प्रति शेयर निश्चित राशि के रूप में घोषणा की जाती है। जिसका उदाहरण हमने निचे दिया है।
- बोनस शेयर (Bonus Share): इसमें कंपनी शेयरधारकों को शेयरों के अनुपात में अतिरिक्त शेयर जारी करती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी शेयरधारक के पास 100 शेयर हैं और कंपनी 1:1 के अनुपात में बोनस देने का फैसला करती है। तो उसे और अतिरिक्त 100 बोनस शेयर मिलेंगे। यानि शेयरधारक के पास अब 200 शेयर की कुल संख्या होगी।
- स्टॉक डिविडेंड (Stock Dividend): यह भी बोनस शेयर के समान है। लेकिन इसमें कंपनी शेयरधारकों को उसी कंपनी के अतिरिक्त शेयर जारी करती है। न कि नकद राशि।
- संपत्ति लाभांश (Property Dividends): कुछ मामलों में, कंपनी नकद या शेयर के अलावा अन्य संपत्तियों, जैसे जमीन या किसी भौतिक वस्तु के रूप में डिविडेंड वितरित कर सकती है। हालांकि, ऐसा बोहोत कम ही देखने को मिलता है।
- लिक्विडेटिंग डिविडेंड (Liquidating Dividends): जब कोई कंपनी के बंद होने की स्थिति में आ जाती है, तब कंपनी अपनी बची हुई संपत्ति को बेचकर प्राप्त रकम से शेयरधारकों को डिविडेंड देती है। यह डिविडेंड कंपनी की सबसे आखिर की स्थिति में दिया जाता है।
डिविडेंड की गणना
हमें अक्सर ऐसी खबरें दिखाई देती है की किसी कंपनी ने अपने निवेशकों को 100%, 400%, 1000% डिविडेंड डिक्लेअर किया है। तो असल में यह डिविडेंट (dividend) होता क्या है? आइये इसे ठीक से समझते है।
- मान लीजिये की आपके पास किसी ABC कम्पनी के 1000 शेयर्स हैं और जिसमे हर एक शेयर की कीमत 100 रूपये है। यानि आपके पास कुल 1,00,000 (एक लाख) कीमत के शेयर्स है।
- अब ABC कंपनी 400% का प्रति शेयर डिविडेंड डिक्लेअर करती है, तो फिर हमें कितना डिविडेंट मिलेगा। ज्यादातर लोग यह सोचते है की अगर शेयर की कीमत 100 रूपये है, और 400% डिविडेंड डिक्लेयर हुआ है। याने हर शेयर के लिए 400 रूपये और कुल मिलाकर 40,000 का डिविडेंट (Dividend) मिलेगा। लेकिन यह गणना गलत है।
- कम्पनी द्वारा डिविडेंड को अक्सर कम्पनी के शेयर की फेस वैल्यू के प्रतिशत में बताया जाता है। अब इसे ध्यान से समझे तो कंपनी के शेयर्स की बाजार में कीमत अलग होती है, और शेयर की असल फेस वैल्यू (अंकित मूल्य) अलग होती है। जैसे ABC कम्पनी के शेयर की बाजार में कीमत 100 रूपये हो सकती है। लेकिन असल में उस शेयर की फेस वैल्यू 1, 2, 5 या 10 रूपये ऐसे हो सकती है।
अब आपके पास ABC कम्पनी के 100 रूपये के 1000 शेयर्स है और उस शेयर की फेस वैल्यू 2 रूपये है। मतलब हर शेयर पर 400% डिविडेंड के हिसाब से कंपनी द्वारा 8 रुपये का डिवीडेंट (Dividend) दिया जायेगा। याने आपको 1000 शेयर्स के लिए आपको कुल 8000 रूपये डिविडेंट प्राप्त होगा। और यह डिविडेंट की रकम सीधे आपके बैंक अकाउंट जमा की जाती है।
इसे गणिति रूप से एक एक स्टेप से समझते है।
शेयर की फेस वैल्यू : ₹2
डिविडेंड : 400% (400 प्रतिशत यानि 4 गुना)
शेयर्स की संख्या : 1000 शेयर्स
प्रति शेयर डिविडेंड का मूल्य : प्रति शेयर डिविडेंड = शेयर की फेस वैल्यू x डिविडेंड का प्रतिशत
प्रति शेयर डिविडेंड = ₹2 x 4 = ₹8
कुल प्राप्त होने वाला डिविडेंड: कुल डिविडेंड = प्रति शेयर डिविडेंड x कुल शेयर्स की संख्या
कुल डिविडेंड = ₹8 x 1000 शेयर्स = ₹8000
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डिविडेंड की तिथि
अब अगर हम सिर्फ डिविडेंड (Dividend) पाने के लिए किसी कंपनी के शेयर्स खरीदना चाह रहे हैं, तो हमें डिविडेंड से जुड़ी डेट्स / तिथियों को ध्यान में रखना भी जरुरी होता है। यह तिथियों की घोषणा कम्पनी द्वारा उसी दिन दिन की जाती है, जिस दिन डिविडेंड की घोषणा की जाती है। इसे ही अनाउंसमेंट डेट कहते है। इसी के साथ कंपनी एक्स डिविडेंड डेट, रिकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट की घोषणा करती है।
अनाउंसमेंट डेट (Announcement Date)
जब कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है, इसमें कंपनी यह भी बताती है की वो कितने प्रतिशत या रुपयों का डिविडेंड देने वाली है।
रिकॉर्ड डेट (Record Date)
- कंपनी डिविडेंड की घोषणा के बाद डिविडेंड देने की तैयारी में लग जाती है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय यह होता है की डिविडेंड किन शेयर होल्डर्स को देना है। क्योंकि हर दिन लाखों लोग कंपनी के खुले बाज़ार में शेयर्स खरीदते और बेचते रहते हैं। इसलिए कोई एक तारीख निश्चित करनी आवश्यक हो जाती है, जिससे यह निर्णय लेने में आसानी हो की किन शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देना है। इसी तारीख को रिकॉर्ड डेट कहा जाता है।
- रिकॉर्ड तिथि वह तारीख है जिस तारीख पर या उस से पहले कंपनी के शेयर रजिस्टर में आपका नाम होना जरुरी होता है, तभी आप डिविडेंड पाने के लिए हकदार होते है।
- तो अगर आपको किसी कंपनी का डिविडेंड प्राप्त करना है। तो उस कंपनी के शेयर्स रिकॉर्ड डेट पर या उससे पहले हमारे डीमेट अकाउंट में होने चाहिए। यानी हमें शेयर्स को रिकॉर्ड डेट से 2 दिन पहले (छुट्टी का दिन छोड़कर) खरीदकर रखना होगा। क्योंकि जब हम शेयर्स खरीदते हैं, तो उसे हमारे डीमेट अकाउंट में आने में दो दिन का समय लगता हैं।
उदाहरण:
मान लीजिए ABC नाम की एक कंपनी ने 1 जनवरी को ₹10 प्रति शेयर के लाभांश की घोषणा की है और रिकॉर्ड डेट 15 जनवरी निश्चित की गई है। इसका मतलब कि यदि आपका नाम 15 जनवरी को या उससे पहले कंपनी के शेयर रजिस्टर में शेयर होल्डर के रूप में दर्ज है, तभी आपको लाभांश मिलेगा।
एक्स डिविडेंड डेट (Ex Dividend Date)
- इसीको हिंदी में पूर्व लाभांश तिथि भी कहा जाता है। यानि वह रिकॉर्ड तिथि से एक दिन पहले की तारीख। इसमें छुट्टी का दिन शामिल नहीं होता, यह रिकॉर्ड तिथि के एक दिन पहले का कारोबारी दिन होता है।
- एक्स डिविडेंड तिथि यह निर्धारित करती है, की लाभांश किसे नहीं देना है। अगर हमें कंपनी का डिविडेंड पाना है तो हमें उस कंपनी के शेयर्स को एक्स-डिविडेंड तिथि से एक दिन पहले खरीदकर रखना होता है। याने एक्स-डिविडेंड तिथि के बाद शेयर को खरीदने पर आपको डिविडेंट का लाभ नहीं मिलता है।
उदाहरण:
ऊपर दिए गए उदाहरण में, ABC कंपनी द्वारा लाभांश की रिकॉर्ड तिथि 15 जनवरी निश्चित की गई थी, यानि अब उसकी पूर्व-लाभांश तिथि 14 जनवरी होगी। (रिकॉर्ड तिथि से एक कारोबारी दिन पहले) इसलिए अगर आप 15 जनवरी को या उसके बाद कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आपको लाभांश नहीं दिया जायेगा।
पेमेंट तिथि (Dividend Payment Date)
- लाभांश, डिविडेंड हमारे बैंक अकाउंट में आने का दिन है, उसे डिविडेंड पेमेंट डेट कहा जाता है। इस दिन डिविडेंड की रकम हमारे डीमेट अकाउंट से लिंक बैंक अकाउंट में जमा की जाती है।
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अब आशा है की डिविडेंड के बारे में आवश्यक सभी जानकारी मैंने यहाँ उपलब्ध कराई है। फिर भी अगर इसके संबंध में आपके कोई सवाल हो तो आप मुझे यहाँ मेल कर सकते है।
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