ट्रेडिंग साइकोलॉजी

ट्रेडिंग का मतलब है रिस्क लेना या फिर रिस्क को जल्दी से जल्दी एक्सेप्ट करना। जब आप रिस्क को एक्सेप्ट करेंगे तभी मार्केट में सफल हो सकते हैं।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी

एक सफल ट्रेडर बनने के लिए ज्यादा रूल फॉलो करने की जरूरत नहीं है। जब एक ट्रेड लिया जाता है तो उसमें अनलिमिटेड प्रॉफिट की पॉसिबिलिटीज होती हैं। फिर भी  ट्रेडर अपने पैसे इसलिए गवाते हैं, क्योंकि  उस प्रॉफिट के लिए वह मन से तैयार नहीं होते।

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आपको यह समझना होगा कि अपनी हर एक सफलता के लिए आप कितने जिम्मेदार हैं और कितने नहीं। ये माइंडसेट आपको सफल ट्रेडर की लिस्ट में ले जाएगा। ट्रेडिंग एक आर्ट है, जिसे आप जिम्मेदारी लेकर सीख सकते हैं। ट्रेडिंग को लेकर अपने नुकसान के डर को खत्म कर दें। क्योंकि एक बार जब डर खत्म हो जाता है, तो गलती होने की पॉसिबिलिटी भी कम होने लगती है।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी

वरन बुफे कहते हैं अपॉर्चुनिटी को हम बाहर से  देखकर पहचान नहीं सकते, बल्कि इसके लिए  आपको प्रॉफिट देखने वाला माइंडसेट डेवलप करना होगा। मार्केट में प्रॉफिट कमाने का एक ही तरीका है, एक कम में ज्यादा क्वांटिटीज खरीदें और ज्यादा प्राइस में बेच दें।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी

ट्रेडिंग में सफल होने के लिए आपको ट्रेड एनालाइज करना, स्टॉप लॉस और इन टर्म्स में इंटरेस्ट होना चाहिए।  अगर ट्रेडिंग करने में आपका इंटरेस्ट सच्चा और कंसिस्टेंट है, तो आप अच्छे रिजल्ट्स देखेंगे।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी

ट्रेडिंग से पैसा कमाने के लिए आपको यह जानने की जरूरत नहीं है कि मार्केट में आगे क्या होगा। सिर्फ यह समझने की जरूरत है कि मार्केट किस तरह काम कर रही है।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी

अगर कोई ट्रेड नहीं चल रहा है, तो उसे छोड़ दें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि एक ट्रेड आपके लिए काम करता है, या नहीं।  क्योंकि आपको भरोसा है कि स्ट्रेटेजी कई  ट्रेडर्स के लिए लॉन्ग टर्म में काम करती है। तो आपके लिए भी करेगी।