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What is Stock Market / Share Market in simple words? What is the meaning of stock in the Share Market? How Does the Stock Market Work?
शेयर बाजार क्या है? (What is Stock Market?)
“बाजार” शब्द सुनकर सबसे पहले हमारे दिमाग में क्या आता है। हमारे घर के आसपास लगने वाला कोई भी वस्तुओं का बाजार, सब्जी मंडी, या फिर तरह-तरह की दुकानें, जहाँ हम अपनी जरूरतों की चीजों को, वस्तुओं को खरीद सकते है, जैसे की फल, सब्जिया, अनाज, बर्तन, फर्नीचर या और भी कई वस्तुए। ठीक उसी तरह शेयर बाजार एक ऐसा मंच है, या फिर आसान भाषा में कहे तो एक ऐसी दुकान है, जहा वित्तीय साधनों को ख़रीदा और बेचा जाता है। शेयर बाजार के लिए दूसरा प्रचलित शब्द है –स्टॉक एक्सचेंज। एक्सचेंज इस शब्द का अर्थ है आदान-प्रदान करना। यानि यह ऐसी वित्तीय संस्था है जहा कंपनी के स्टॉक्स का आदान-प्रदान किया जाता है।
शेयर बाजार की जरुरत क्यों?
शेयर बाजार को और सरल भाषा में समझने की कोशिश करे तो, बाजार इस शब्द का अर्थ एक ऐसी जगह, या ऐसी दुकान जहा वित्तीय साधनो की खरीदी – बिक्री की जाती है। इसी तरह हमारे भारत में भी शेयर्स, बांड्स ऐसे वित्तीय साधनों की खरीदी – बिक्री के लिए दो मुख्य बाजार है, याने के स्टॉक मार्केट है। इन्ही दो स्टॉक मार्केट के माध्यम से हमारे देश की विविध संस्थाओ, कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री की जाती है।
अब आखिर शेयर बाजार की जरूरत क्यों होती है? हम इसके इतिहास के बारे में थोड़ा जान लेते है ताकि आगे हमें समझने में थोड़ी आसानी हो। तो दुनिया में सबसे पहला जो स्टॉक एक्सचेंज खुला था, यानि बना था वह था, एमस्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज, जो की कुछ लोगो ने मिलकर बनाया था। इसे बनाने का उद्द्येश्य यह था की जो व्यापार शुरू करना चाहते है, उनके लिए वित्त याने निधि उपलब्ध कराना, निधि के लिए शेयर को जारी करना, ताकि निवेशक उसे खरीद सके। और एमस्टर्डम एक केंद्रीय स्थान था, या जगह थी, जहा लोग इकठ्ठा होकर तरह तरह की कंपनी के शेयर आपस में खरीदते और बेचते थे। याने के शेयर का आदान-प्रदान होता था। अब यही है, की जब लोगो के बिच शेयरों को आदान-प्रदान हो रहा है, तो धोखाधड़ी से बचने के लिए, उसका कोई दस्तावेज़, कोई अभिलेख होना जरुरी हो जाता है। इस व्यवहार पर नियंत्रण होना जरुरी हो जाता है। लोगो में विश्वास होना चाहिए की वो जो आदान-प्रदान कर रहे है वह सुरक्षित है। और इसी जरुरत को देख फिर एक संस्था बनाई गई जिसे एक्सचेंज हाउस, एक्सचेंज बोर्ड कहा जाने लगा। उसे ही आज हम शेयर बाजार, स्टॉक एक्सचेंज कहते है।
इस सवाल को हम एक उदहारण से समझते है। अब मान लीजिये की हम कोई सब्जी, या कोई फल खरीदना चाहते है। तो हम उसके लिए सीधे किसान के घर नहीं जाते।
अब कुछ लोग यहाँ ये भी कह सकते है की हम तो सीधे किसान के घर ही जाते है, लेकिन क्या हो जब हमें अलग अलग सब्जिया खरीदनी हो? फल खरीदने हो? मतलब हमें सेब खरीदने कश्मीर जाना पड़ेगा, संतरे खरीदने नागपुर जाना होगा, नारियल के लिए केरल। मतलब कहने का अर्थ यह है की हम सब्जी, फल खरीदने के लिए जगह-जगह घूमते नहीं है। सब्जीवाला, फलवाला हमारे लिए वह खरीदकर लाता है। और हम उनसे खरीदते है।
तो जैसा की मैंने कहा की हम फल, सब्जी के लिए सीधे किसान के घर नहीं जाते।
- किसान अपनी सब्जिया बड़ी सब्जी मंडी में दलालो को बेचता है।
- सब्जी मंडी के दलाल फिर उस सब्ज़ी, फल की नीलामी करता है। और दूसरे छोटे दुकानदार बोली लगाकर उस माल को खरीदते है।
- फिर छोटे दुकानदार उस माल में अपना मुनाफा जोड़कर हमें बेचते है।
शेयर बाजार भी कुछ इसी क्रम से चलता है। थोड़ा बदलाव है लेकिन क्रम यही है।
- कोई ABC कंपनी है, जो अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए पैसा चाहती है। तो ऐसे में कंपनी अपनी कुछ हिस्सेदारी को शेयर के माध्यम से बाजार में आएगी। मान लेते है कंपनी 100 लेकर बाजार में आ गई।
- दूसरी तरफ निवेशक है, जो नई-नई कंपनियों में निवेश करना चाहते है। अपना पैसा लगाना चाहते है। तो मान लेते है की कोई XYZ निवेशक है जो ABC कंपनी के 10 शेयर खरीदना चाहता है।
- अब एक तरफ ABC कंपनी है जो शेयर बेचना चाहती है, दूसरी तरफ XYZ निवेशक है जो शेयर को खरीदना चाहता है। लेकिन इनके बिच खरीदने और बेचने का जो व्यवहार होगा उसकी गारंटी कौन लेगा, उसकी सुरक्षा की गारंटी किसकी होगी, और इसलिए इनके बिच आता है शेयर बाजार जो उन दोनों में व्यवहार को पूरा कराता है।
- अब एक्सचेंज खुद यह व्यवहार नहीं कराता, बल्कि उनके लिए दलाल यानि ब्रोकर संस्थाए इस व्यवहार को पूरा करती है। लेकिन इसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी एक्सचेंज की होती है।
अब शायद आपको समझ आ गया होगा की शेयर बाजार की जरुरत क्यों पड़ती है।
वित्तीय साधन मतलब क्या ?
अब जैसा की आपने पढ़ा है की शेयर बाजार में कंपनी के स्टॉक्स की खरीद और बिक्री होती है। लेकिन यह सिर्फ यही तक सिमित नहीं है। इसमें अन्य कई प्रकार के वित्तीय साधन होते है जिनकी खरीद और बिक्री की जाती है। इसीलिए मैंने पहले वित्तीय साधन इस शब्द का प्रयोग किया था।
वित्तीय साधन के कुछ प्रकार
- शेयर – शेयर यानि ऐसी कंपनी के स्टॉक्स, जो की एक्सचेंज में सूचीबद्ध है। अब किसी भी कंपनी को शेयर बाजार में उतरने से अपनी कंपनी को सूचीबद्ध करने के लिए एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जिसे हम प्रमियरी मार्किट और सेकेंडरी मार्किट कहते है। लेकिन इसके बारे में हम अलग से विस्तार से जानेंगे।
- बॉन्ड – आसान भाषा में कहे तो बॉन्ड वह वित्तीय साधन है, जो सरकार द्वारा जारी किया जाता है। इसका उपयोग सरकारी योजनाओ के लिए निधि प्राप्त करने, अथवा दूसरे सरकारी कामों के लिए किया जाता है। सरकार बॉन्ड जारी कर निवेशकों से एक तरह का कर्ज लेती है और निवेशकों को उनसे लिए गए कर्ज पर ब्याज तथा निवेश की पूरी रकम वापस करने की बॉन्ड के माध्यम से वचन देती है।
- डेरिवेटिव – डेरिवेटिव यह एक बहुत बड़ा विषय है, जिसे आसानी से नहीं समझाया जा सकता। बस हम यह जानले की की डेरिवेटिव को ही फ्यूचर, ऑप्शन कहा जाता है। इस वित्तीय साधन का उपयोग निवेशक बाजार में विपरीत परिस्थिति में अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए करते है।
भारतीय शेयर बाज़ार
हमारे भारत देश में शेयर्स, बांड्स ऐसे वित्तीय साधनों की खरीद-बिक्री के लिए दो मुख्य बाजार है, याने के स्टॉक मार्केट है। इन्ही दो स्टॉक मार्केट के माध्यम से देश की कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री की जाती है।
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई)
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)
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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE-Bombay Stock Exchange)
बीएसई, भारत के साथ-साथ एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज, 1800 के अंत में स्थापित किया गया था लेकिन 1875 में औपचारिक रूप दिया गया (स्रोत), 7000 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों के साथ सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन गया। 6 माइक्रो सेकंड (2017) की वर्तमान गति के साथ, बीएसई इक्विटी, मुद्राओं, ऋण उपकरणों, डेरिवेटिव, म्यूचुअल फंड में व्यापार के लिए एक कुशल और पारदर्शी बाजार प्रदान करता है। इसके पास छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) की इक्विटी में व्यापार के लिए एक मंच भी है। बीएसई का लोकप्रिय इक्विटी इंडेक्स – एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स – भारत का सबसे व्यापक रूप से ट्रैक किया जाने वाला स्टॉक मार्केट बेंचमार्क इंडेक्स है।
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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE-National Stock Exchange)
इसकी तुलना में, एनएसई (स्रोत) 2000 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों के साथ एक नव स्थापित स्टॉक एक्सचेंज है, और वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज (डब्ल्यूएफई) के अनुसार, 2015 में इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया में चौथा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसका परिचालन 1994 में शुरू हुआ और 1995 से हर साल इक्विटी शेयरों के कुल और औसत दैनिक कारोबार के मामले में इसे भारत में सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के रूप में स्थान दिया गया है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
जैसा कि भारत में बैंकों और आरबीआई के मामले में है, शेयर बाजारों को निवेशकों के हितों की रक्षा करने और प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए एक नियामक की आवश्यकता होती है। इसलिए, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना 12 अप्रैल, 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (स्रोत) के प्रावधानों के अनुसार की गई थी। सेबी की मुख्य भूमिकाओं में से एक स्टॉक एक्सचेंजों में व्यापार की लगातार निगरानी करना, प्रतिभूति बाजारों से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना है।