IPO का मतलब शेयर बाजार का नया अवसर

IPO Meaning in Hindi : आईपीओ क्या है और यह कैसे काम करता है, सरल हिंदी में जानें! कंपनी के शेयरों में निवेश करने का एक नया तरीका समझें.

IPO Meaning in Hindi

IPO Meaning in Hindi: अगर आप शेयर बाज़ार में नए है, तो कभी न कभी तो आपने यह सुना ही होगा की कोई कंपनी IPO ला रही है? या शायद किसी ने आपको IPO में निवेश करने की सलाह दी होगी? लेकिन आप समझ नहीं पाए कि असल में IPO क्या होता है? क्योंकि कोई कहता है की IPO में निवेश नहीं करता चाहिए तो कोई कहता है, की IPO लग गया तो एक दिन में पैसा डबल हो जाता है। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? आप जानना चाहते है तो, चिंता की कोई बात नहीं!

आप ऐसे अकेले नहीं हैं, शेयर बाजार की दुनिया, खासकर नए लोगों के लिए, IPO को समझना थोड़ा कठिन हो जाता है। लेकिन IPO को समझना उतना कठिन नहीं है। यह लेख हिंदी में आपको सरल शब्दों में समझाएगा कि IPO क्या है? यह कैसे काम करता है?, और आपके लिए इसमें निवेश करना फायदेमंद हो सकता है या नहीं?

तो चलिए, शेयर बाजार की इस रोमांचक दुनिया में कदम रखने से पहले, IPO की बारीकियों को जानते हैं!

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आईपीओ का फुल फॉर्म क्या है??

शेयर बाजार में आईपीओ यानि Initial Public Offering होता है। हिन्दी में इसका अर्थ ‘प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश’ हैं। जैसा की आईपीओ का हिंदी में अर्थ है, इसका मतलब की IPO मतलब किसी भी कंपनी द्वारा आम जनता के लिए एक ‘प्रारंभिक सावर्जनिक पेशकश’। जब कोई निजी संस्था, या कंपनी अपने व्यवसाय की वृद्धि के लिए पूंजी जमा करना चाहती है, तब वह पहली बार आम जनता के लिए बाज़ार में कंपनी के शेयर पेश करती है। इस पेशकश को ही आईपीओ कहा जाता है। आईपीओ किसी भी निजी कंपनी के लिए सार्वजनिक रूप से पैसे जुटाने के एक साधन है। 

आईपीओ बाज़ार में क्यों और कैसे लाया जाता है?

जब भी कोई व्यापारी यह सोचता है की उसका व्यापार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। और भविष्य में और भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। तब वो चाहता है की अपने व्यापार को और बढ़ाए, व्यापार में वृद्धि करे। ऐसे में व्यापारी SEBI (Securities and Exchange Board of India) के पास जाकर अपनी व्यापार का पंजीकरण (Registration) कर सेबी के माध्यम से बाजार में आय.पी.ओ. (IPO) लेकर आते है। यानि के व्यापारी अपने कंपनी की हिस्सेदारी की आम जनता को पेश करते है। अब इसे उदाहरण के साथ एक क्रम से समझते है। 

  1. मान लीजिये की एक ABC कंपनी है। जो की बाज़ार में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। लोग उस कंपनी के उत्पाद को पसंद कर रहे है और उत्पाद (Product) मांग बढ़ रही है। इससे कंपनी के मालिक, संस्थापक को विश्वास हो जाता है की उनकी कंपनी में विकास की संभावना है, इस लिए कंपनी के मालिक अपने व्यापार के विस्तार के लिए योजनाएं बनाते है। लेकिन अब कंपनी का विस्तार करने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी यानी पैसों की आवश्यकता होती है। 
  2. अब जहा बड़ी मात्रा में पैसों की आवश्यकता निर्माण हो जाती है, वहा कंपनी के मालिक पैसो को जमा करने के लिए अपनी कंपनी की कुछ हिस्सेदारी आम जनता को पेश करने का निर्णय लेते है। यानि ABC कंपनी आईपीओ के माध्यम से आम जनता से पैसे जुटाने के निर्णय लेती है। 
  1.  अब ABC कंपनी के मालिक किसी बैंकिंग निवेशक संस्था के माध्यम से अपनी कंपनी का मूल्यांकन करती है। और उस मूल्यांकन के आधार पर आईपीओ की प्राथमिक क़ीमत निश्चित की जाती है। 
  2. इसके बाद कपंनी के मालिक अपनी कंपनी का स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड में पंजीकरण (Registration) कर, उनके व्यापार के बारे में सारि जानकारी उपलब्ध कराती है। हमारे देश में सेबी (SEBI – Security Exchange Board of India) यह एकमात्र बोर्ड है, जहा कंपनी के शेयर बाजार में लाने से पहले कंपनी को सूचीबद्ध किया जाता है। 
  3. स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड द्वारा कंपनी की जाँच की जाती है, की कंपनी ने कब से काम कर रही है? कंपनी के हालात कैसे है? और बाकी सभी अन्य जानकारी। फिर उसके बाद बाज़ार में कंपनी द्वारा निश्चित कीमत पर कंपनी का आईपीओ IPO पेश किया जाता है। यहाँ सेबी द्वारा कंपनी की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराई जाती है। जिससे लोग कंपनी के इतिहास को और भविष्य में वृद्धि की संभावनाओं को देख और समझकर उसमें निवेश करने का निर्णय ले सके। 
  4. आखिरी चरण में निवेशक ABC कंपनी के भविष्य को देख उसमे निवेश करते है। और निवेशकों का निवेश किया हुआ पैसा सीधे कंपनी के पास जाता है। 

IPO का रहस्य खोलें, निवेश का सही फैसला लें!

अब जब भी कोई कंपनी IPO को पेश करती है, तो आपने देखा होगा की वहा कुछ तारीखे और क़ीमत, शेयर की जारी की गई संख्या दिखाई पड़ती है। उसीके साथ-साथ Open Date, Close Date, Listing Date, Issue Price, Issue Size, Lot Size और Exchange इस तरह की जानकारी कंपनी के नाम के साथ साथ हमें दी गई होती है। तो यह सब क्या होता है, और इससे हमें क्या पता चलता है।

आईपीओ ओपन डेट और लिस्टिंग डेट क्या है?

कंपनी आईपीओ के साथ कुछ तारीख भी जारी करती है।

  • अनोउंसमेंट डेट – जब कोई कंपनी यानि उनके मालिक यह सार्वजनिक रूप से घोषणा करते है की वह कंपनी की हिस्सेदारी आम जनता को पेश करना चाहते है, और वह अपनी कंपनी के शेयर बाजार में ला रही है। उस तारीख को घोषणा तिथि कहते है। 
  • ओपन डेट – इस तारीख को कंपनी का IPO आईपीओ बाजार में सार्वजनिक रूप से खरीद के लिए पेश किया जाता है।
  • क्लोज डेट – यह तारीख आईपीओ में निवेश करने की अंतिम तारीख होती है। याने अगर आप आईपीओ में निवेश करना चाहते है तो इस तारीख के दिन या उससे पहले आईपीओ को खरीदना होता है। क्लोज डेट के बाद आईपीओ खरीद के लिए बंद हो जाता है। 
  • अलॉटमेंट डेट – इस तारीख को कंपनी के तरफ शेयर लोगो को दिया जाता है।
  • लिस्टिंग डेट – इस तारीख को कंपनी के शेयर बाजार में ट्रेड करने के लिए उपलब्ध हो जाते है। यानि इस तारीख से लोग कंपनी के शेयर को शेयर बाज़ार में (Open Market) खरीद-बेच सकते है। मतलब उसमे ट्रेडिंग कर सकते है। 

आईपीओ इश्यू प्राइस और लिस्टिंग प्राइस क्या है?

  • इशू प्राइस – यह आईपीओ की वह कीमत होती है। जो की कंपनी द्वारा मूल्यांकन कर निश्चित की जाती है। हमें यह कीमत प्राइस बैंड में 95-100, 135-142 कुछ ऐसे दिखाई पड़ती है। यानि हम जो आईपीओ खरीद रहे है, उसकी बोली हमें इस कीमत के अंदर लगनी होती है। 
  • लिस्टिंग प्राइस – जिस दिन कंपनी का आईपीओ बाजार में लिस्टिंग होगा है, यानि शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है, तब वो जिस कीमत पर खुलता है, उस कीमत को लिस्टिंग प्राइस कहते है। अब मान लीजिये की किसी कंपनी का प्राइस बैंड 95 -100 के बिच था। और आने 100 के भाव पर उसमे 1000 शेयर्स में निवेश किया है। और लिस्टिंग के दिन कंपनी का शेयर सीधे 150 की कीमत पर खुलता है। यानि कंपनी की लिस्टिंग कीमत 150 हो गई।

यहाँ क्लीक कर आप आनेवाले आईपीओ के बारे में जान सकते हो : Upcoming IPOs

आईपीओ इश्यू साइज और लॉट साइज क्या है?

  • इशू साइज – यह संख्या कंपनी द्वारा बाजार में पेश किये गए शेयर की कुल संख्या होती है। इससे हमें पता चलता है की कंपनी ने बाजार में कितने शेयर उतारे है। यह संख्या उस पर निर्भर करती है की कंपनी कितनी पूंजी, पैसा चाहती है। और इनकी संख्या करोड़ो में होती है। 
  • लॉट साइज – यह संख्या दर्शाती है की निवेशक आईपीओ कंपनी के कम से कम कितने शेयर खरीद सकते है। जैसा की हम जानते है की हम शेयर बाजार में कंपनी का कम से कम 01 शेयर भी खरीद सकते है। ठीक उसी तरह आईपीओ में यह संख्या निश्चित होती है, हम इस संख्या से कम शेयर प्राथमिक बोली में नहीं खरीद सकते। जो की हमें लॉट साइज 100, 150, 500, 1000, 2000 या इससे भी ज्यादा दिखाई देता है। यानि के हम लॉट साइज में दर्शाई गई संख्या से कम संख्या में निवेश नहीं कर सकते है। और उससे ज्यादा में निवेश करना है तो गुना में करना होगा।
  • मान लीजिये की कोई कंपनी का लॉट साइज 1000 है, लेकिन आप उससे ज्यादा खरीदना चाहते है, तो आपको 1000 के गुना में खरीदना होगा, जैसे की 2000, 3000, 4000, 5000 ऐसे।

शेयर बाजार की शब्दावली सीखें – IPO को आसानी से समझें! 

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आईपीओ प्राइस बैंड और एक्सचेंज क्या है?

  • प्राइस बैंड – इसके साथ ही हमें प्राइस बैंड भी दर्शाया जाता है, यानि हम जितने भी शेयर खरीद रहे है। हम उस प्राइस बैंड के बिच उसे खरीदने के लिए बोली लगा सकते है। जैसे अगर किसी कंपनी प्राइस बैंड 95 -100 निश्चित किया है, तो आप 95 से 100 के बिच जिस भी कीमत पर आप खरीदना चाहते है, उस में कोई भी बोली लगा सकते है।
  • एक्सचेंज – इससे हमें यह जानकारी मिलती है की कंपनी कहा सूचीबद्ध है। बीएसई में है या एनएसई में है। 

लिस्टिंग के दिन आईपीओ क्यों नहीं खरीदना चाहिए?

  • अब जैसा की हमने समझा है की आईपीओ को खरीदना हो तो उसके बाज़ार में ट्रेडिंग के लिए आने से पहले खरीद लेना अच्छा होता है। कई बार ऐसा होता है की लोग आईपीओ के लिए आवेदन कर देते है लेकिन उन्हें आईपीओ मिलता नहीं, यानि उनका आवेदन रद्द किया जाता है। इसलिए वह सोचते है की जब आईपीओ बाजार में लिस्टिंग होगा, उस दिन हम इसे खरीद लेंगे।
  • लेकिन हमें इस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है, की जब कोई भी आईपीओ इक्विटी बाजार में लिस्टिंग होता है, यानि के ट्रेड के लिए उपलब्ध होता है। तब ऐसे में पहले दिन या अगले कुछ दिनों में उस शेयर में निवेश करने में बड़ा जोखिम हो सकता है, क्योंकि शुरुवाती दिनों में शेयर की कीमत बहोत ही ज्यादा अस्थिर होती है। इसलिए हमे कुछ दिनों तक, या कुछ महीनो तक सही समय का इंतजार करना चाहिए। लेकिन अगर आप बाजार की सही से जानकारी रखते है, कंपनी के फंडामेंटल को समझते है और कंपनी के विकास को समझते है तब आप अपनी निश्चित कीमत पर शेयर को खरीद सकते है। 

आईपीओ के बारें में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  • आईपीओ खरीदना लाभदायक है?
  • IPO (प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव) के बारे में अगर आप जानते हो, कंपनी के बारे में अच्छे से जानते हो, कंपनी के फंडामेंटल से अगर आपको लगता हो की कंपनी भविष्य एम्मु अच्छा प्रदर्शन करेगी, तो जरूर आईपीओ खरीदना लाभदायक होता है। लेकिन आप आईपीओ को बस कुछ दिनो के प्रॉफिट के उद्द्येश से खरीदना चाहते हो, तो यह जोखिम भरा हो सकता है।
  • IPO के बाद पैसा किसे मिलता है?
  • आईपीओ खरीदने के बाद पूरा पैसा, पूंजी कंपनी के मालिक को मिलती है, जिससे वह अपने वृद्धि, वित्तीय उद्द्येश्य या और उद्देश्य को पूरा कर सके।
  • मैं IPO से कितना कमा सकता हु?
  • यह कंपनी के फंडामेंटल्स और काम पर निर्भर करता है की कंपनी में निवेश से आपको कितना लाभ होगा।

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आशा करता हु की आपको IPO संबंध में इस लेख से महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी, फिर भी अगर आपका कोई सवाल हो तो आप मुझे मेल कर सकते है। 

Email: fiinpodcast@gmail.com

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