सेवानिवृत्ति के लिए सुरक्षित निवेश: राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के फायदे जानें और नियम जाने!

जानें कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) कैसे आपकी सेवानिवृत्ति को सुरक्षित बना सकती है। इसके फायदे, पात्रता हिंदी में सरल भाषा में समझें।

NPS in Hindi

National Pension System: एक स्टडी के हिसाब से 90 प्रतिशत ऐसे भारतीय है, जिनकी आयु 50 से अधिक है, वह इस बात का रिग्रेट करते हैं कि उन्होंने रिटायरमेंट प्लानिंग  नहीं की या फिर जल्दी नहीं शुरू की!

लेकिन हमें अगर रिटायरमेंट प्लानिंग करनी है, तो NPS या  फिर नेशनल पेंशन सिस्टम एक काफी पॉपुलर रिटायरमेंट स्कीम सामने आती है। ज्यादातर लोग टैक्स बेनिफिट्स के चलते बिना पूरी स्कीम को समझे NPS में पैसा डाल देते हैं। लेकिन हमें यह समझना होगा की इसके कुछ एडवांटेजेस होने के  साथ कुछ डिसएडवांटेजेस भी हैं। चलिए  सबसे पहले समझते हैं कि आखिर NPS है  क्या?

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आखिर NPS है क्या?

NPS एक पेंशन स्कीम है, जिसे गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने लांच किया  है। पीएफआरडीए यानी कि पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड  डेवलपमेंट अथॉरिटी इसको रेगुलेट करता है। 

इसको 2004 में खासकर सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया गया था। लेकिन 2009 में इसे सामान्य जनता के लिए खोल दिया गया। इस रिटायरमेंट योजना के दो बेनिफिट हो जाते हैं। पहला रिटायरमेंट प्लानिंग और दूसरा टैक्स सेविंग। इसके तहत हर सब्सक्राइबर को एक 12 डिजिट  PRAN नंबर असाइन किया जाता है। जिसे हम Permenant Account Number कहते हैं। NPS हमें दो टाइप के अकाउंट ऑफर करता  है, पहला है टियर वन दूसरा है टियर टू। 

टियर  वन (Tier – I)

  • टियर  वन (Tier-I) का जो मुख्य उद्द्येश्य रिटायरमेंट प्लानिंग है।  
  • एलिजिबिलिटी की बात करें, तो कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी आयु 18 से 70 है, वो टियर वन के अंदर अकाउंट खोल सकता है। 
  • लॉकइन पीरियड की अगर हम बात करें, तो टियर वन अकाउंट में 3 साल का मिनिमम लॉकइन पीरियड  होता है। उसके बाद हम पार्शियल विड्रॉल कर सकते हैं। और 60 वर्ष तक हम और कोई विड्रॉल नहीं कर सकते  हैं। यह प्राइमर एक रिटायरमेंट प्लानिंग अकाउंट है। 
  • इस अकाउंट को खोलते समय कम से कम ₹500 डालने होते है। 
  • मैक्सिमम लिमिट कुछ भी नहीं है 
  • टैक्स बेनिफिट की बात करे, टियर वन अकाउंट में जो NPS के अंदर एंप्लॉई का कंट्रीब्यूशन होता  है, उसके अंदर हमें ₹2 लाख तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।   
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टियर  टू (Tier – II)

  • टियर  टू (Tier-II) का मेन उद्द्येश्य इन्वेस्टमेंट प्लानिंग है। 
  • यहाँ  सिर्फ वही लोग अकाउंट खोल सकते हैं,  जिन्होंने टियर वन अकाउंट पहले से खोला  हुआ है।  
  • टियर टू अकाउंट में  हर साल पैसा डालना जरूरी नहीं है। लेकिन जब भी हम पैसा डालते हैं। तो कम से कम ₹250 डालने होते हैं। 
  • टियर टू अकाउंट जब हम खोलते हैं, यहाँ खाता खोलने के लिए ₹1000 हमें मिनिमम डालने होते हैं।
  • मैक्सिमम लिमिट कुछ भी नहीं है 
  • टियर टू अकाउंट में  हमें किसी भी तरीके का कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है। 

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इसी वजह से टियर वन अकाउंट क्योंकि ये इतने सारे टैक्स बेनिफिट्स  मिलते हैं वो ज्यादा पॉपुलर हैं।  

कौन NPS में इन्वेस्ट कर सकते है?

सारे  वर्किंग प्रोफेशनल्स NPS के अंदर  इन्वेस्ट कर सकते हैं। चाहे वो गवर्नमेंट  एंप्लॉयज हो कॉर्पोरेट एंप्लॉयज, सेल्फ  एंप्लॉयड, बिजनेसमैन और एनआरआई भी इसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं। 

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National Pension System (NPS in Hindi)

NPS में इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस कौन-कौन से होते हैं?

  • इसमें सबसे पहला स्टेप जो है कि हमें अपना पेंशन फंड मैनेजर चुनना होता है। NPS के अंदर टोटल आठ लिस्टेड पीएफएम हैं। जिसमें से हमें कोई एक चुनना होगा।  
  • सेकंड स्टेप आ जाता है कि उसमें से हमें  चुनना होता है। एक्टिव चॉइस या फिर ऑटो  चॉइस।

एक्टिव चॉइस 

  • अगर हम एक्टिव चॉइस सेलेक्ट करते हैं। तो उसमें हम हर साल कुछ ना कुछ चेंजेज भी कर सकते हैं कि हमारा पैसा कहां  इन्वेस्ट होना चाहिए। 
  • हम एक्टिव चॉइस की थोड़ी सी और डिटेल की बात  करें, तो सब्सक्राइबर्स इक्विटी, कॉर्पोरेट  बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के बिच Asset Allocation को चुन सकते हैं। 
  • 50 की आयु तक हम मैक्सिमम 75 प्रतिशत तक अपना पैसा  इक्विटी के अंदर डाल सकते हैं। उसके बाद 2.5  प्रतिशत से ये हर साल कम होता रहता है। तो हम 60 की आयु तक जब तक पहुंचते  हैं, तो यह हमारा जो इक्विटी में  पैसा लग सकता है, वो 50 प्रतिशत तक ही लग सकता  है। और इस एलोकेशन को हम हर साल दो बार चेंज कर सकते हैं। 
  • इसके अलावा एलोकेशन जो हमारा एआईएफ में हो सकता है। यानी कि अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स में वो मैक्सिमम 5 प्रतिशत तक ही हो सकता है। 
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ऑटो चॉइस 

  • ऑटो चॉइस में ऑटोमेटिक हमारा पैसा इन्वेस्ट होता रहता  है। 
  • ऑटो चॉइस की अगर हम बात करें तो एसेट एलोकेशन पूरा  का पूरा पेंशन फंड मैनेजर सब्सक्राइबर्स की आयु के हिसाब से डिसाइड करता है। आपने एक बार ऑटो चॉइस के अंदर अपना ऑप्शन चुन लिया, उसके हिसाब से पेंशन फंड मैनेजर अपने हिसाब से ही ऑटोमेटिक इन्वेस्ट करता रहेगा।  

यहां पर भी हमारे पास तीन चॉइसेज मिल  जाती हैं। 

अग्रेसिव लाइफ साइकिल फंड

  • जो थोड़ा  सा हाई रिस्क लेने वाले लोग होते होते हैं। तो अग्रेसिव लाइफ साइकिल फंड के अंदर 75  प्रतिशत एलोकेशन इक्विटी के अंदर हो सकता है। जो की 35 साल तक होता है। उसके बाद बाय 55 वर्ष तक ये धीरे-धीरे कम करके 15 प्रतिशत  तक लाया जाता है। 

मॉडरेट लाइफ  साइकिल फंड 

  • यहां पर इक्विटी के अंदर  एक्सपोजर और लिमिट कर दिया जाता है।  जो की 35 साल तक 50 प्रतिशत तक  ही इक्विटी के अंदर पैसा डाला जाता है और  55 की आयु तक इसको कम करके 10 प्रतिशत  तक लाया जाता है। 

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कंजरवेटिव लाइफ  साइकल फंड

  • अब जो लोग बहुत ज्यादा  रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। उनके लिए ये  फंड होता है। तो इसमें 35 की आयु तक 25 प्रतिशत एलोकेशन हमारा  इक्विटी के अंदर रखा जाता है। उसके बाद 55 की आयु तक  आते-आते इसको कम करके 5 प्रतिशत तक कर  दिया जाता है। 
  • यानि ऑटो चॉइस के अंदर हमारा  जो इक्विटी और कॉरपोरेट बांड्स का एक्सपोजर, आयु बढ़ने के साथ साथ धीरे-धीरे कम कर दिया जाता है। क्योंकि आयु बढ़ने के साथ ही लोगों की जो रिस्क टेकिंग कैपरसिटी या फिर  एबिलिटी होती है वो कम होती जाती है। 

दोनों ही चॉइसेज के अंदर हमारा जो पैसा है, वह चार कैटेगरी के अंदर इन्वेस्ट हो सकता है।

  • पहली कैटेगरी कटेगरी  -लो  रिस्क यानी कि गवर्नमेंट बंड्स 
  • दूसरी  कैटेगरी – मॉडरेट रिस्क यानी कि  कॉरपोरेट बंड्स 
  • थर्ड  कैटेगरी – हाई रिस्क, जिसके अंदर हमारा पैसा इक्विटी  यानी कि स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट होता है।  
  • चौथी कैटेगरी – वेरी  हाई रिस्क – जिसके अंदर हमारा पैसा एआईएफ  यानी कि अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स के  अंदर पैसा इन्वेस्ट होता है। जिसके अंदर  आरईआईटी जिसे हम रियल एस्टेट  इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट कहते हैं उनके अंदर  भी पैसा इन्वेस्ट हो सकता है। 

हमारा पैसा आखिर इन्वेस्ट कहां होता है?

यह  पैसा जैसे म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट  होता है। कुछ स्टॉक मार्केट में और साथ ही साथ डेट में भी इन्वेस्ट होता है।  और साथ में गवर्नमेंट एंड कॉर्पोरेट बंड्स के अंदर पैसा इन्वेस्ट होता है। 

मैच्योरिटी पर हमें पैसा कैसे मिलता है ?

-मान लीजिए मैं 60 की आयु में रिटायरमेंट ले रहा हूं। तो मेरा जो टोटल कॉर्पस है। उसका 60 प्रतिशत पैसा मुझे एक साथ मिल जाएगा और बाकी का जो 40 प्रतिशत पैसा है, वो Annuity की फॉर्म में मिलेगा। यानि उसमें मुझे एक इंश्योरेंस मिलेगी और मंथली पैसा वो मेरे को धीरे-धीरे मिलता रहेगा। 

NPS से विथड्रावल कैसे कर सकते है?

अब बात करते  हैं कि आखिर हम NPS से विथड्रावल कैसे कर सकते है। तो प्राइमर ये एक रिटायरमेंट प्रोडक्ट  है। तो मैक्सिमम पैसा जो आपका है वो रिटायरमेंट पर ही आपको मिलेगा। लेकिन तीन साल के लॉक इन पीरियड के बाद आप 25 प्रतिशत अपने टोटल कंट्रीब्यूशन का पैसा निकाल सकते है। 

अपने सुनहरे भविष्य की गारंटी लें! राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS)  

National Pension System (NPS in Hindi)

मान लीजिए आपने टोटल करीब ₹1 लाख तक इन्वेस्ट करे हैं। और हो सकता है वो धीरे-धीरे बढ़ के ₹3 लाख का अमाउंट भी हो  गया है। लेकिन जो आपका कंट्रीब्यूशन है, सिर्फ 1 लाख का ही हुआ है। तो आप 1 लाख का  25 प्रतिशत यानी ₹25,000 ही विड्रॉ कर पाएंगे। 

और विड्रॉ भी आप सिर्फ इमरजेंसी केसेस के अंदर ही कर सकते  हैं। यह सारी लिस्ट आपको NPS की वेबसाइट पर मिल जाएगी। जैसे मान लीजिए आपको कोई घर की कंस्ट्रक्शन करनी है, अपने बच्चों की शादी  करनी है, अपने बच्चों की उच्च शिक्षा देनी है, कोई बीमारी हो गई है। 

NPS Calculator के लिए यहाँ क्लीक करे।

इसके साथ-साथ जितना भी हमारा टोटल  इन्वेस्टमेंट का टेन्योर है, उसके अंदर  मैक्सिमम तीन विड्रोल्स ही कर सकते हैं। और हर विड्रोल्स में कम से कम भी 5 साल का  गैप भी होना जरुरी है। 

टैक्सेशन?

ओल्ड टैक्स रेजीम

अगर हम ओल्ड रेजीम सेलेक्ट करते हैं। तो वहां प्रतिशत हमें क्या-क्या बेनिफिट हो सकते हैं। 

पहली बात तो हम समझ ले कि NPS हमारा ट्रिपल-ई कैटेगरी के  अंदर आ जाता है। जैसे कि हमारा पीपीएफ है, या फिर एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड है, वो भी हमारे ट्रिपल ई कैटेगरी के अंदर आते हैं। इसका मतलब जब भी हम पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं, यानी कि इन्वेस्टमेंट स्टेज पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। फिर जब हर साल हमारा पैसा कंपाउंड हो रहा है, इंटरेस्ट मिल रहा है उसपर, या फिर जो भी हमारे रिटर्न्स बन रहे  हैं, उसपर भी कोई टैक्स नहीं लगता है और फाइनली जब हम अपना पैसा निकालते हैं एट  मैच्योरिटी स्टेज उस टाइम पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है।  

अब NPS  के अंदर एंप्लॉई कंट्रीब्यूशन होता है और साथ में एंप्लॉयर का कंट्रीब्यूशन भी होता है। तो इनकम टैक्स में हमें अलग-अलग सेक्शंस के अंदर यहां पर  डिडक्शंस देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां पर सबसे पहले हमारा सेक्शन 80c जिसकी  ओवरऑल लिमिट 1.5 लाख है। उसके अंदर हमें NPS का भी एक ऑप्शन मिल जाता है। जो हमारा सेक्शन 80CCD(1) में कवर हो  जाता है।  

यहां पर जो हमें टैक्स डिडक्शन  मिल जाती है, वो 10 प्रतिशत बेसिक  सैलरी और डीए मिलाकर की जाती है। यहां पर 80c का  सेक्शन जो  ओवरऑल लिमिट है, वो 1.5 लाख  की है। अब 80c के  अंदर तो बहुत सारे पोर्शंस आ जाते हैं, जैसे कि ईपीएफ है, पीपीएफ, सुकन्या  समृद्धि योजना, स्मॉल सेविंग  स्कीम्स, म्यूचुअल फंड, होम लोन  का प्रिंसिपल और उसी के  साथ-साथ NPS का भी एक ऑप्शन आ जाता है।  इन सारे ऑप्शंस का टोटल मिलाके 1.5 लाख की  हमारी लिमिट आ जाती है।

लेकिन इसके साथ-साथ  80c के अंदर एक NPS के लिए एक और एडिशनल सेक्शन बनाया  गया है, जिसके अंदर  हम 50,000 तक का एडिशनल अमाउंट डाल सकते  हैं। NPS में हर साल और उस प्रतिशत भी हमें  टैक्स डिडक्शन मिल जाता है।

सेक्शन 80CCD(2)  जिसमें हमारा जितना भी एंप्लॉयर का  कंट्रीब्यूशन है। यानि बहुत सारी ऑर्गेनाइजेशन  में एंप्लॉयर भी अपनी तरफ से एक  कंट्रीब्यूशन दे देता है। उसके अंदर भी हमें एडिशनल टैक्स  डिडक्शन मिल जाता है। इसकी ओवरऑल लिमिट 7.5 लाख है। 

न्यू टैक्स  रेजीम

न्यू  रेजीम में हमें सिर्फ जो एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन वाला अमाउंट  है, यानी कि 80CCD(2) यही ऑप्शन मिलता है।  बाकी के सारे ऑप्शन हमें  नहीं मिलते हैं। 

अस्वीकरण: यहां प्रकाशित किसी भी वित्तीय जानकारी को प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने की पेशकश या किसी भी तरह से सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। यहां प्रकाशित सभी जानकारी केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, यहां प्रकाशित जानकारी के आधार पर कोई भी वास्तविक निवेश निर्णय लेने से पहले पाठकों को एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए। कोई भी पाठक जो यहां प्रकाशित जानकारी के आधार पर निर्णय लेता है वह ऐसा पूरी तरह से अपने जोखिम पर करता है। इक्विटी बाज़ार में कोई भी निवेश अप्रत्याशित बाज़ार-संबंधित जोखिमों के अधीन है। लेखक का इस पेशकश में निवेश करने का इरादा नहीं है।

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आशा करता हु की आपको एनपीएस (NPS in Hindi) इस लेख से महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी, फिर भी अगर आपका कोई सवाल हो तो आप मुझे मेल कर सकते है। 

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