The question Covered in this post:-
Contents
- What is a primary market and a secondary market?
- What is a secondary market with example
- Difference between primary market and secondary market.
प्रचलित शब्द प्रयोग
सामान्यतः बाजार में “प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट” इसी शब्द का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। हिंदी में बाजार की इस प्रणाली को “प्राथमिक बाजार और द्वितीय बाजार” कहा जाता है। लेकिन बाजार में इस शब्द का प्रयोग बहुत कम ही होता है। इसलिए हम पोस्ट में “प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट” इसी शब्द का प्रयोग करेंगे।
व्याख्या
जो भी व्यक्ति बाजार में आता है, वह कभी न कभी तो बाजार में “प्राइमरी और सेकेंडरी शेयर मार्केट” के बारे में सुनता जरूर है। दरअसल शेयर बाजार में दो पद्धति से काम चलता है। पहला है प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट। प्राइमरी मार्केट में कोई भी नया वित्तीय साधन (स्टॉक, बॉन्ड) को पहली बार जारी करने की प्रक्रिया की जाती है। वही सेकंडरी मार्केट में निवेशक आपस में शेयर खरीदते और बेचते है। तो आइए हम इन दोनों बाजार के बारे में विस्तार से समझते है।
प्राइमरी मार्केट – (Primary Market)
प्राइमरी मार्केट में नए सिक्योरिटीज जैसे कि नए शेयर और बॉन्ड जारी किए जाते हैं। इसलिए प्राइमरी मार्केट को न्यू मार्केट भी कहा जाता हैं। प्राइमरी मार्केट में कंपनीज सीधे निवेशकों को अपने शेयर बेचती है। जिससे उस कंपनी को कंपनी के विस्तार के लिए पूंजी यानी पैसा उपलब्ध होता है और जिन निवेशकों ने उस कंपनी में निवेश किया है, वह कंपनी में भागीदार बन जाते हैं। यानि निवेशकों को पैसो के बदले कंपनी के शेयर मिल जाते है। प्राइमरी मार्केट में कंपनीज अलग-अलग तरीको से निधी जमा कर सकती है। जैसे कि पब्लिक इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट, राइट इश्यू इत्यादि।
पब्लिक इश्यू – तो पहले बात करते हैं पब्लिक इश्यू यानि कि आईपीओ की, जब कोई कंपनी पहली बार आम जनता को अपने कंपनी के शेयर बेचना चाहती है, तो वह बाजार में आईपीओं (IPO) यानि इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering) को जारी करती हैं। यानि जो शेयर सबसे पहले कंपनी आम जनता के लिए पेश करती है उसे पब्लिक इशू कहते है। (आईपीओ (IPO)के संबधं में अधिक जानने के लिए आप उससे संबंधित अलग पोस्ट को पढ़ सकते है)
प्राइवेट प्लेसमेंट – प्राइवेट प्लेसमेंट में कंपनी पब्लिक के बजाय कुछ चुनींदा इनवेस्टर्स को ही अपने शेयर बेचती है। जैसे के म्यूचुअल फंड्स, (Mutual Funds) इंश्योरेंस कंपनीज (Insurance Companies), वेंचर कैपिटल (Venture Capital), बैंक (Bank) इत्यादि।
राइट इश्यू – राइट इश्यू में कंपनी अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स को शेयर बेच कर फायदा उठाती है। जैसे की अगर ABC नाम की कोई कंपनी बाजार में 1:2 राइट इश्यू ला रही है, तो इसका मतलब है कि जिन्होंने पहले ही ABC कंपनी के शेयर ख़रीदे हुए है, उन शेयर होल्डर्स को दो शेयर्स के पीछे एक अधिक शेयर खरीदने के लिए आमंत्रित किया जाता हैं। राइट इश्यू में जारी होने वाले शेयर्स की कीमत से यानि मार्केट प्राइस से कम होती है।
प्राइमरी मार्केट में निवेशक शेयर सिर्फ खरीद सकते हैं, वे उन्हें बेच नहीं सकते। अगर निवेशक प्राइमरी मार्केट में खरीदे हुए शेयर को बेचना चाहते है, तो उन्हें सेकेंडरी मार्केट में बेचना होगा। यानि के प्राइमरी मार्केट में कंपनी आईपीओ के माध्यम से अपने शेयर्स निवेशकों को बेचती है और आईपीओ की कार्यवाही पूरी होने के बाद मतलब इन्वेस्टर्स को शेयर अलॉट होने के बाद वह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग के लिए लिस्टिंग डेट पर लिस्ट हो जाता है। यहाँ स्टॉक एक्सचेंज सेकेंडरी मार्केट है। जहां आईपीओ में खरीदे हुए शेयर को बाद में बेचा और फिर से ख़रीदा जा सकता है।
सेकेंडरी मार्केट – (Secondary Market)
भारतीय बाजार में नॅशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यह एक्सचेंज सेकेंडरी मार्केट है। जहां हम आईपीओ (IPO) में ख़रीदे हुए शेयर लिस्टिंग के बेच सकते है। यहाँ स्टॉक एक्सचेंज एक माध्यम है, जो शेयर खरीदने वालों को और शेयर बेचने वालों को एक जगह पर जोड़ता है और जहां खरीददार और बेचने वालो के बीच शेयर्स का लेनदेन होता है। तो जब हम स्टॉक एक्सचेंज पर मतलब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर्स खरीदते या बेचते हैं, तब हम असल में सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड कर रहे होते हैं। सेकेंडरी मार्केट में शेयर्स और पैसे की लेनदेन का व्यवहार यह दो निवेशकों (इनवेस्टर्स) के बीच का व्यवहार होता है। सेकेंडरी मार्केट में जो व्यवहार होते हैं, उनमें कंपनी शामिल नहीं होती है। सेकेंडरी मार्केट में शेयर की कीमत उसकी सप्लाइड और डिमांड पर आधारित होती है।
उदाहरण से समझे तो अगर हम सेकेंडरी मार्केट में टाटा कंपनी के शेयर खरीद रहे है, तो हम टाटा कंपनी से नहीं बल्कि किसी और इन्वेस्टर्स से शेयर खरीद रहे है। यानि हमने शेयर खरीदने के लिए जो पैसा इन्वेस्ट किया हैं, वह पैसे शेयर बेचने वाले को मिलते हैं। सेकेंडरी मार्केट को आफ्टरमार्केट भी कहते हैं क्योंकि यहां पहले से जारी किए गए शेयर निवेशकों के बिच ट्रेड होते हैं।
प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट के बीच अंतर
- प्राइमरी मार्किट में नए शेयर और बॉन्ड्स जारी किए जाते है, जब की सेकेंडरी मार्केट में पहले से जारी किए गए शेयरों और बॉन्ड्स की खरीद और बिक्री की जाती है।
- प्राइमरी मार्केट में कंपनी और निवेशकों के बिच लेनदेन होता है, जबकि सेकंडरी मार्केट में निवेशकों के बीच लेनदेन होता है। कंपनी इसमें शामिल नहीं होती है।
- प्राइमरी मार्किट में की गई खरीदारी का पैसा सीधे कंपनी को जाता है, वही सेकेंडरी मार्किट में निवेशकों के बिच लेनदेन होता है।