The Intelligent Investor in Hindi PDF Download
द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर (The Intelligent Investor) : क्या आपने कभी स्टॉक मार्केट में निवेश करने के बारे में कभी सोचा है। लेकिन ज्यादा स्टॉक मार्किट की ज्यादा जानकारी ना होने के कारण, आपने कभी रिस्क ही नहीं लिया। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि इन्वेस्टमेंट की नॉलेज के बगैर भी आप अपने पैसे को इन्वेस्ट कर सकते हैं और उसी के साथ आप बहुत सारे पैसे भी कमा सकते हैं। तो क्या आप निवेश करने में रूचि लेना चाहेंगे। निवेश सम्बन्धी रणनीतियों को जानने के लिए आपको इस किताब को अवश्य पढ़ना चाहिए।
दुनिया के जितने भी बड़े-बड़े इन्वेस्टर हैं। उन सभी ने The Intelligent Investor को जरूर पढ़ा है। वरन बुफेट ने तो यहां तक कह दिया कि उनकी जितनी भी सफलता है, वे अपनी सारी सफलता का श्रेय इस किताब को देते हैं। इसको इन्वेस्टिंग की दुनिया में बाइबल ऑफ इन्वेस्टिंग भी कहा जाता है। यह एक तरह का इन्वेस्टिंग से संबंधित महान ग्रंथ है।
बेंजामिन ग्राहम “द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर” (The Intelligent Investor) इस बुक के लेखक है। इस किताब को सबसे पहले 1949 में पब्लिश किया गया था। ग्राहम एक अमेरिकन इकोनॉमिस्ट और प्रोफेशनल इन्वेस्टर थे। ग्राहम को ही सबसे पहले वैल्यू इन्वेस्टिंग करने वाला इंसान माना जाता है। वरन बुफेट जो कि बहुत प्रसिद्ध निवेशक है, वो उनको अपनी जिंदगी में पिता के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बताते हैं।
एक सफल निवेश के लिए आपको कोई भी फैंसी डिग्री, हाई क्वालिटी, या लक की जरूरत नहीं होती है। आपको बस इन्वेस्टिंग की बेसिक नॉलेज, एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी और अपने इमोशंस को कंट्रोल करना आना चाहिए। अगर आप यह चीज करते हो तो आप आसानी से स्टॉक मार्केट से बहुत अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हो।
निवेश की परिभाषा (Definition of Investment)
अधिकतर लोगो का यह मानना है कि बाजार से कोई भी स्टॉक, वित्तीय साधन खरीद लो, और उसे 2 साल, 5 साल, या 10 साल तक अपने पोर्टफोलियो में रखे रहो, तो यह इन्वेस्टिंग होती है। जबकि लेखक कहते है की यह इन्वेस्टिंग बिल्कुल नहीं होती। एक सफल निवेशक को निवेश करने से पहले हमेशा तीन चीजों का पता होना बहुत जरूरी होता है। अगर यह तीन चीजें आप नहीं जानते है, तो आप इन्वेस्टिंग नहीं, बल्कि गैंबलिंग कर रहे हो। यह तीन चीजें इस प्रकार हैं।
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- विस्तृत सूक्ष्म विश्लेषण (Thorough analysis) –इसमें स्टॉक खरीदने और बेचने के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए शेयर बाजार का मूल्यांकन और परीक्षण करने की प्रक्रिया शामिल होती है। आप किसी भी चीज में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो उसके पीछे कुछ कारण अच्छे से पता होने चाहिए। उस स्टॉक में आपका सूक्ष्म निरीक्षण होना चाहिए। एनालिसिस करे बगैर आप कुछ भी कर रहे हैं, तो उसे निवेश नहीं कहा जा सकता है।
- सुरक्षा का सिद्धांत (Safety of Principle) – बाजार में यानि स्टॉक मार्किट में जो पैसा आप लगा रहे हैं, वह पैसा सुरक्षित होना चाहिए। आपकी निवेश की समझ में यह बात होनी चाहिए की स्टॉक्स की कीमत महीने – छह महीने ऊपर निचे होती रहती है, उनमे तेजी – गिरावट की स्थिति हमेशा ही बनी रहती यही। लेकिन साल या 6 महीने को देखें तो आपका नुकसान नहीं होना चाहिए। मतलब आप जो पैसा लगा रहे हैं, वह सुरक्षित होना चाहिए।
- पर्याप्त रिटर्न (Adequate Return) – आपको निवेश किए गए पैसो पर एक पर्याप्त रिटर्न भी मिलना चाहिए। डिफिकल्ट रिटर्न थंब रूल के हिसाब से जो रिटर्न आपको फिक्स एसेट (Fixed Asset) से मिल सकता है, उससे 5 प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए। जैसे कि अगर आपको एफडी (Fixed Deposit) के ऊपर 7 प्रतिशत का रिटर्न मिल रहा है, और अगर आप इक्विटी में इन्वेस्ट कर रहे हैं, तो उस पर आपको 12 प्रतिशत का रिटर्न मिलना चाहिए।
अगर यह तीन चीजें आपके इन्वेस्टमेंट के निर्णय में शामिल है, तो ही इसे सही निवेश कहा जा सकता है। अगर यह तीनों चीजें नहीं है, तो आप बस तुक्का लगा रहे है। जिसमें आप बस यह सोच रहे हैं कि मैंने इस कंपनी का शेयर ले लिया है तो अब शायद यह शेयर चल जायेगा।
मिस्टर मार्केट के सिद्धांत (Concept of Mr. Market)
- लेखक ग्राहम का कहना है, बाजार आपको हररोज स्टॉक्स के अलग अलग भाव पेश करता है। कि आज यह चीज 100 में ले लो, तो किसी दिन कहता है 110 में ले लो, तो किसी दिन दिखायेगा की 80 में ले लो। एक समझदार निवेशक कीमत अधिक होने पर बेचेगा और कम होने पर खरीदेगा – वह सिर्फ इसलिए स्टॉक नहीं बेचेगा क्योंकि कीमत कम हो गई है।
- ग्राहम कहते हैं कि मिस्टर मार्केट अधिकतर समय सही होता है। यानी 60 से 70 प्रतिशत किसी भी कंपनी का भाव सही होता है। लेकिन कभी-कभी वह इमोशनल प्रॉब्लम में फंस जाता है। इसी के कारण मिस्टर मार्किट कभी स्टॉक की बहुत सस्ता दिखायेगा, या फिर कभी बहुत महंगा दिखायेगा। यहीं पर आपको सही निर्णय लेना जरुरी है। अगर आपने सही निर्णय लिया, तो आपको उसके बढ़िया रिजल्ट मिलेंगे। लेकिन आपने गलती की तो उसके खराब रिजल्ट भी मिलेंगे।
- मिस्टर मार्केट का अनुमान समय के साथ अक्सर अत्यधिक आशावादी से लेकर बहुत निराशावादी तक बदलता रहता है। ग्राहम का सजेशन है कि जब मिस्टर मार्केट बहुत निराशावादी हो तो आपको खरीदना चाहिए, और जब बहुत आशावादी हो तो आपको नहीं खरीदना है। या तब आप बेच सकते है। यानी जब मार्केट में बहुत ज्यादा गिरावट हो तो आपको खरीदना चाहिए। वही जब मार्केट में बहुत ज्यादा तेजी हो तो आपको बेचना चाहिए।
मार्जिन ऑफ सेफ्टी (Margin of Safety)
- सुरक्षा मार्जिन की अवधारणा को बेंजामिन ग्राहम द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। उनके मुताबिक, अगर उन्होंने 1 डॉलर की कीमत वाला कोई स्टॉक खरीदा है, तो संभावना थी कि भविष्य में स्टॉक की कीमत इससे कम हो सकती है। यही कारण है कि उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला था कि किसी स्टॉक को उसके आंतरिक मूल्य से कम कीमत पर खरीदने से, उसमे होने वाला घाटा काफी हद तक सीमित हो जाएगा।
- जैसे, आप किसी भी कंपनी का शेयर उसके फेयर प्राइस से नीचे खरीदें। अगर उसका फेयर प्राइस 100 बनता है, तो आप आपको उसे 70, 80 या 60 में खरीदना चाहिए। जब आप उसे नीचे के भाव पर खरीद रहे हैं, यानी 100 की चीज को 70 में खरीद रहे हैं। तो जो आपकी तरफ से एनालिसिस में गलती हो सकती है, वह यहां पर डिस्काउंट हो जाएगी। कंपनी का थोड़ा बहुत बिजनेस जो खराब हो सकता है। वह आपको सेफ्टी दे देगा या ओवरऑल बिजनेस एनवायरनमेंट खराब हो जाए तो यहां आपको सेफ्टी मिल जाएगी। इसलिए हमेशा मार्जिन ऑफ सेफ्टी का ध्यान रखना चाहिए।
टाइप्स ऑफ इन्वेस्टर्स (Types of Investors)
बेंजामिन ग्राहम ने इन्वेस्टर्स के कुछ टाइप बताए हैं। जो इस प्रकार हैं –
- डिफेंसिव इन्वेस्टर – यह ऐसे इन्वेस्टर होते हैं, जिन्हें लॉस से डर लगता है। जो टाइम नहीं देना चाहते। जो रिसर्च नहीं करना चाहते, इसके साथ ही जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते। ऐसे इन्वेस्टर को ही डिफेंसिव इन्वेस्टर्स कहते हैं। यह इन्वेस्टर्स ऑटोपायलट टाइप के नेचर के होते हैं। वह ऐसा पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, जिसमें वह ऐसे शेयर को रख दें। जिसमें ज्यादा सोचने विचारने की जरूरत ना पड़े। रेगुलेट ट्रैक करने की जरूरत ना पड़े। ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं यह इन्वेस्टर्स ज्यादा इमोशनल होते हैं। यह फियर, ग्रीड जैसी चीजों से ज्यादा डरते हैं। इन्हें एवरेज रिटर्न ही प्राप्त होते हैं।
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- एंटरप्राइजिंग इन्वेस्टर – यह वह इन्वेस्टर होते हैं। जो रिस्क लेना चाहते हैं जो मेहनत करना चाहते हैं, जो रिसर्च के लिए टाइम दे सकते हैं। ऐसे इन्वेस्टर्स को खुद पर काफी भरोसा होता है। उसे लगता है कि वह अच्छी रिसर्च कर रहा है वह खुद पर
कॉन्फिडेंट रहता है। ग्राहम कहते हैं अगर लॉन्ग टर्म की बात करें तो ऐसे इन्वेस्टर्स ज्यादा रिटर्न बनाते हैं। वही यह इन्वेस्टर्स डिफेंसिव इन्वेस्टर्स की तरह का पोर्टफोलियो पसंद नहीं करते। यह इन्वेस्टर्स डिसीजन मेकिंग पोर्टफोलियो को पसंद करते हैं। यह इन्वेस्टर्स इमोशनल नहीं होते, बल्कि इंटेलेक्चुअल होते हैं। यह नॉलेज और इंटेलिजेंस पर भरोसा रखते हैं। इनमें पेशेंस होता है इन इन्वेस्टर्स को एवरेज से ज्यादा रिटर्न मिलते हैं। - हाइब्रिड इन्वेस्टर – एंटरप्राइजिंग और डिफेंसिव इन्वेस्टर्स के बीच एक और इन्वेस्टर भी हो सकता है, जिसे हाइब्रिड इन्वेस्टर्स कहते हैं। यह वह लोग होते हैं, जो डिफेंसिव के साथ एंटरप्राइजिंग भी होते हैं। यह दरअसल उस कैटेगरी के लोग होते हैं जो रिसर्च में टाइम खर्च करना नहीं चाहते हैं, या फिर इनको रिसर्च करने की नॉलेज ही नहीं होती। किसी सही व्यक्ति की एडवाइस
लेने के लिए पैसा भी खर्च करना नहीं चाहते, ऐसे लोग टीवी पर या सोशल मीडिया पर सुनकर अपना इन्वेस्टमेंट करते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा बिलो एवरेज रिटर्न मिलता है। ज्यादातर समय वह लॉस में ही रहते हैं।
ग्राहम सजेशंस देते हैं कि आप हाइब्रिड इन्वेस्टर कभी ना बने। या तो आप प्रॉपर रिसर्च कीजिए, नहीं कर सकते तो डिफेंसिव इन्वेस्टर्स की स्ट्रेटेजी को फॉलो कीजिए।
The Intelligent Investor की फाइव स्ट्रेटेजी
ग्राहम ने यहां पर इन्वेस्टमेंट की फाइव स्ट्रेटजी दी है। जिन्हें आप अपने नेचर के हिसाब से फॉलो कर सकते हैं। इसे फॉलो करके आप अच्छे रिटर्न भी हासिल कर सकते हैं।
- पहली रणनीति –
- डिफेंसिव इन्वेस्टर्स को यहां मिनिमम एफर्ट की जरूरत होती है। ना तो यहां पर कोई रिसर्च करनी है, ना ज्यादा दिमाग लगाना है। ना ज्यादा टाइम खर्च करना है। यहां पर आप केवल इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट कर दीजिए। इंडेक्स फंड से मतलब है कि आप निफ्टी बेस्ड या बैंक बेस्ड फंड ले सकते हैं। यहां पर आपको रिटर्न भी एवरेज के करीब ही मिलेंगे। या यूं कहे तो जैसा इंडेक्स चलेगा, वैसे ही आपको रिटर्न मिलेंगे। यह मिनिमम एफर्ट वाली स्ट्रेटेजी है। यहां आपको मेहनत बिल्कुल भी नहीं करनी बस आपको इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट कर देना है।
- दूसरी रणनीति –
- इस स्ट्रेटेजी में आपको थोड़ी मेहनत करनी है। यह भी डिफेंसिव इन्वेस्टर्स के लिए ही है, इसमें ग्राहम कहते हैं कि आप ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट कीजिए। जिसका कम से कम रेवेन्यू 500 मिलियन डॉलर का हो। अगर इससे कम रेवेन्यू है तो इन्वेस्ट मत करिए। उस कंपनी के पास करंट लायबिलिटीज के दो गुने करंट एसेट्स होने चाहिए। उस कंपनी की लॉन्ग टर्म बोरोइंग उसके नेट करंट एसेट से कम होनी चाहिए। वह कंपनी पिछले 10 साल से लगातार प्रॉफिटेबल होनी चाहिए।
- ऐसा ना हो कि वह बीच के एक आधा साल लॉस में रही हो। वह कंपनी पिछले 10 साल से लगातार डिविडेंड पे कर रही हो। इस कंपनी को आपको ऐसे देखना चाहिए। इसके साथ ही वह कंपनी ऐसी होनी चाहिए, जो अपना मिनिमम ईपीएस 10 साल के आधार पर 1/3 बहा लेती हो। यानी 10 साल के अंदर 33 से 35 प्रतिशत की ग्रोथ दे देती हो। ऐसी कंपनियों में भी आप इन्वेस्ट कीजिए तो ज्यादा से ज्यादा 15 टाइम्स ऑफ अर्निंग के ऊपर मत करिए। या वह अपनी नेट वैल्यू के 1.5 टाइम्स के नीचे चल रही हो। तभी इन्वेस्ट कीजिए। इस स्ट्रेटजी का जब आप पोर्टफोलियो बनाए, तो आपको मिनिमम 10 और मैक्सिमम 30 स्टॉक्स रखना चाहिए।
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- तीसरी रणनीति –
- यह स्ट्रेटेजी उन्होंने एंटरप्राइजिंग इन्वेस्टर्स के लिए बनाई है। यहां पर रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है। इसके साथ रिसर्च वर्क भी ज्यादा होता है। यहां पर आप उन कंपनियों में इन्वेस्ट कीजिए, जिनके करंट एसेट्स कम से कम 1.5 टाइम्स, करंट लायबिलिटीज से ज्यादा हो। इन कंपनियों का करंट डेट करंट एसेट से 1.1 टाइम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यानी 110 प्रतिशत से ज्यादा उसके ऊपर कर्जा नहीं होना चाहिए। अपने करंट एसेट्स के मुकाबले दूसरी चीज जो देखनी है, उस कंपनी ने पिछले 5 सालों में कोई लॉस ना किया हो।
- यानी पिछले 5 सालों में वह हर साल प्रॉफिटेबल रही हो। साथ में लगातार डिविडेंड भी पे कर रही हो। इसके साथ उसकी अर्निंग में कुछ ग्रोथ भी हो। ऐसी कंपनी के स्टॉक्स आपको उसके फिक्स्ड एसेट्स का 1.2 टाइम से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। यानी उसका जितना फिक्स्ड एसेट है। उसके मुकाबले उसको 1.2 से मल्टीप्लाई कर दीजिए। तो उतना आपको उसका मार्केट कैप मिल जाएगा। यानी उस मार्केट कैप से ऊपर आपको नहीं लेना है। अगर आप इस स्ट्रेटेजी को फॉलो कर रहे हैं, तो कम से कम 20 स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने चाहिए।
- चौथी रणनीति –
- यह स्ट्रेटेजी भी एंटरप्राइजिंग इन्वेस्टर्स के लिए है यह हाई रिस्क और हाई रिवार्ड्स वाली स्ट्रेटजी है। यहां पर ग्राहम कहते
- हैं कि आपको ऐसी कंपनियों शेयर लेना चाहिए, जो अपनी नेट करंट एसेट्स वैल्यू के नीचे चल रहे हो। यानी जितना कंपनी का करंट एसेट्स है, उसके नीचे उसका मार्केट कैप होना चाहिए। ऐसी कंपनी में आप इन्वेस्ट कर सकते हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि ऐसी कंपनी पिछले दो सालों में लॉस में ना गई हो। कम से कम पिछले दो साल उसके प्रॉफिटेबल होने चाहिए। क्योंकि यह एक रिस्की स्ट्रेटेजी है। इसलिए आपको कम से कम 30 स्टॉक्स को अपने पोर्टो पलियो में शामिल करना चाहिए ताकि आपका रिस्क कम हो। आपका पोर्टफोलियो भी ज्यादा डायवर्सिफाइड हो।
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- पांचवी रणनीति –
- यह सिचुएशनल इन्वेस्टिंग वाली स्ट्रेटेजी है। यहां पर आपको रेगुलर रिसर्च नहीं करनी है। बस कुछ सिचुएशंस पर नजर रखनी है। ऐसी सिचुएशन जैसे कि किसी छोटी कंपनी को कोई बड़ी कंपनी खरीद रही है। ऐसी डील जनरली प्रीमियम प्राइस पर होती है। तो ऐसे में छोटी कंपनी के शेयर्स अक्सर बढ़ते हैं। तब आप ऐसी छोटी कंपनियों के शेयर ले सकते हैं।
- कोई ऐसी कंपनी जो किसी लीगल ट्रबल में फंसी हो किसी ऐसी कानूनी समस्या में जो कि टेंपररी हो। जो सॉल्व हो सकती हैं, ऐसी कंपनी के स्टॉक्स भी आप ले सकते हैं। ऐसी कंपनी जो स्निप ऑफ यानी कि वैल्यू अनलॉकिंग कर रही हो। सब्सिडियरी कंपनी को लिस्ट कराकर। ऐसी सिचुएशन में भी आप इन्वेस्ट कर सकते हैं। ग्राहम कहते हैं कि आपको सिचुएशनल इन्वेस्टिंग करनी चाहिए। आपके मैक्सिमम स्टॉक्स दो से चार होने चाहिए। इस स्ट्रैटेजी को आपको अकेले फॉलो नहीं करनी है।
- यानी कि आप सिर्फ सिचुएशनल स्टॉक ही ले, ऐसा आपको नहीं करना है। इस स्ट्रेटजी को आप किसी दूसरी स्ट्रेटजी के साथ कंबाइन करके ले सकते हैं। ग्राहम ने इसके अलावा एक अहम बात की है कि आप जब भी शेयर खरीदें तो आपकी सोच एक बिजनेस ओनर के जैसी होनी चाहिए। अगर आप इन्वेस्टमेंट को बिजनेस पार्टनर के तौर पर लेंगे तो आपको इसके बहुत अच्छे रिजल्ट मिलेंगे। अगर आप ऐसे नहीं लेंगे तो आपको अच्छे रिजल्ट नहीं मिलेंगे इसलिए आप इन्वेस्टिंग को एक बिजनेस के तौर पर लीजिए।
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आशा करता हु की आपको The Intelligent Investor किताब के इस सारांश के इस लेख से महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी, फिर भी अगर आपका कोई सवाल हो तो आप मुझे मेल कर सकते है।
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