Trading in the Zone in Hindi
Trading in the Zone in Hindi: कभी-कभी डर के कारण अच्छे ट्रेड हाथ से निकल जाते हैं और ज्यादा लालच के कारण खराब ट्रेड गले पड़ जाते हैं। नए ट्रेडर के साथ अक्सर ऐसा होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि एक ट्रेड आपके लिए काम करता है या नहीं, क्योंकि आपको भरोसा है कि स्ट्रेटेजी कई ट्रेडर्स के लिए लॉन्ग टर्म में काम करती है, तो आपके लिए भी करेगी।
एक प्रोफेशनल ट्रेडर बनने के लिए आपको इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग सिस्टम में साइकोलॉजी और इंडिविजुअल माइंडसेट के इंपॉर्टेंस को समझने की जरूरत है। ट्रेड लेने से पहले उसमें अपना उद्द्येश्य निश्चित कर ले, कि कितने प्रॉफिट से आप उसे बेच देंगे। अगर आप भी ट्रेडिंग में मास्टरी हासिल करना चाहते हैं। तो यह पुस्तक आपके लिए है।
Trading in the Zone – Mark Douglas
ऑथर मार्क डग्लस प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग के लिए हमें उस तरह का माइंडसेट डेवलप करना सिखा रहे हैं। ऑथर 1982 से ट्रेडर्स को ट्रेडिंग साइकोलॉजी के बारे में ट्रेनिंग देते आ रहे हैं। मार्केट में अच्छा प्रॉफिट कमाने के लिए Trading in the Zone बुक बार-बार पढ़ने से आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी में इंप्रूवमेंट होगी। शेयर मार्केट की लोकप्रियता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। अच्छी वेल्थ कमाने के लिए लोग शेयर मार्केट में आते हैं, लेकिन बहुत कम लोग सफल होते हैं।
शेयर मार्केट में प्रॉफिट कमाने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस की नॉलेज जरूरी है। लेकिन जिन लोगों को इसकी नॉलेज होती है वह भी शेयर मार्केट में कभी-कभी नुकसान उठाते हैं। ऐसा क्यों है इसका जवाब है ट्रेडिंग साइकोलॉजी आप भले ही शेयर मार्केट के अच्छे खिलाड़ी हो शेयर कब खरीदने हैं और कब बेचने हैं, यह भी आपको पता है मार्केट के बिहेवियर को आप अच्छी तरह से समझते हैं।
लेकिन क्या आप खुद को जानते हैं एक्सपीरियंस ट्रेडर्स भी कभी-कभी अपनी गलत थिंकिंग के कारण, गलत तरीके से ट्रेडिंग करते हैं। गलत साइकोलॉजी के होने के कारण अच्छी नॉलेज होने पर भी वह अपने प्लांस को सफलता से पूरा नहीं कर पाते और ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से भारी नुकसान करते हैं। इस पोस्ट में आपको ट्रेडिंग बिहेवियर, सही माइंडसेट, डिसिप्लिन और सही कॉन्फिडेंस के साथ ट्रेडिंग कैसे करनी है? यह सब सीखने को मिलेगा।
सफलता का रास्ता
सबसे पहले हमें सफलता का रास्ता बनाना है। सफल ट्रेडर शेयर मार्केट की हर जरूरी चीज को एनालाइज करते हैं। इसमें फंडामेंटल एनालिसिस को बड़ी इंपॉर्टेंस दी जाती है। फंडामेंटल के बाद ट्रेडर शेयर के मूवमेंट को समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस करते हैं। जब तक आप ट्रेडिंग करते हैं, तब तक टेक्निकल एनालिसिस चलता रहता है। इससे मार्केट में आगे क्या होने वाला है, इसका अंदाजा लगाया जाता है। फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के साथ आपको मेंटल एनालिसिस की भी जरूरत होती है।
इसके लिए अपने आप को एनालाइज करते रहे। मार्केट में एक ग्रुप ऐसा है जो हमेशा पैसे कमाता है और एक ग्रुप ऐसा है जो हमेशा पैसे गवाता है। ऐसा क्यों होता है? क्या यह ग्रुप ज्यादा समझदार है? या यह लोग ज्यादा मेहनत करते हैं? नहीं! जो ग्रुप हमेशा पैसे कमाता है, वह अपने मेंटल एनालिसिस पर भी अच्छा काम करता है।
वह इन चीजों पर काम करते हैं, जैसे किसी ट्रेड में कितना पैसा कमाना है? कितना रिस्क लेना है? मार्केट रेट क्या है? जो ग्रुप यह सब कुछ जानता है, वह हमेशा पैसे कमाता है। क्योंकि इन बातों से उन्हें बेसिक फंडा क्लियर हो जाता है। वो अंधविश्वास में ट्रेड नहीं करते। बल्कि रिस्क मैनेजमेंट करके ट्रेड लेते हैं। इस तरह वो एवरेज ट्रेडर से अलग सोच रखते हैं।
सिचुएशन कैसी भी हो वह अपने प्लान और टारगेट के लिए फोकस रहते हैं। ट्रेडिंग करना आसान काम नहीं है। डॉक्टर, वकील, साइंटिस्ट यहां तक कि हाई लेवल ऑफिसर्स भी शेयर मार्केट में अपना पैसा गवा देते हैं, क्योंकि उनके पास सही ट्रेडिंग साइकोलॉजी नहीं होती। ट्रेडिंग का मतलब है रिस्क लेना या फिर रिस्क को जल्दी से जल्दी एक्सेप्ट करना।
जब आप रिस्क को एक्सेप्ट करेंगे तभी मार्केट में सफल हो सकते हैं। ज्यादातर लोग रिस्क लेने से घबराते हैं, जबकि रिस्क लेना एक अच्छे ट्रेडर की बेसिक स्किल में से एक है। मार्केट में जो हो रहा है। आप हर बार उसे बदल तो नहीं सकते।
लेकिन रिस्क टेकिंग एबिलिटी से उस रिस्क को मैनेज करके प्रॉफिट कमा सकते हैं। इसलिए ट्रेड करने से पहले ही डिसाइड कर लें, कि हर ट्रेड में आप कितना पैसा गवाने का रिस्क लेने को तैयार हैं। इसी के साथ यह भी डिसाइड कर लें कि उस ट्रेड से मैक्सिमम प्रॉफिट कितना कमाना चाहते हैं। इस तरह फायदे और नुकसान के लिए पहले से तैयार रहकर, ट्रेडिंग करना एक अच्छी ट्रेडिंग साइकोलॉजी की निशानी है।
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ट्रेडिंग के लिए सही माइंडसेट
ट्रेडिंग कर रहे हर इंसान को ट्रेडिंग के लिए सही माइंडसेट की जरूरत होती है। हम सबको फ्रीडम अच्छी लगती है, सबको अमीर बनना है। सबको अपने-अपने ट्रेडिंग रूल अच्छे लगते हैं। एक सफल ट्रेडर बनने के लिए ज्यादा रूल फॉलो करने की जरूरत नहीं है। जब एक ट्रेड लिया जाता है तो उसमें अनलिमिटेड प्रॉफिट की पॉसिबिलिटीज होती हैं। फिर भी ट्रेडर अपने पैसे इसलिए गवाते हैं, क्योंकि उस प्रॉफिट के लिए वह मन से तैयार नहीं होते।
अगर कोई ट्रेड हमारे माइंडसेट के विरुद्ध होता है, तो मेंटल बैलेंस बनाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अपोजिट सिचुएशन में मेंटल बैलेंस बनाए रखना एक अच्छे ट्रेडर की पहचान है। ऑथर कहते हैं कि मार्केट हर समय अनलिमिटेड मौके देती रहती है। इनका फायदा उठाने के लिए एक बच्चे की तरह बिहेव करें। जो अपने हर काम में एंजॉय करना जानता है, ना कि स्ट्रेस में रहना।
चाहे कुछ भी हो जाए बच्चा हर एक चीज में एक्साइटेड रहता है और आप भी इसी तरह एक्साइटेड रहे, क्योंकि ट्रेडिंग में कभी-कभी प्रॉफिट या लॉस हो सकता है। इसलिए मेंटल स्टेबिलिटी की बहुत जरूरत होती है। नुकसान को रोकने के लिए हमें डिसिप्लिन की जरूरत है। मार्केट ऐसा कोई फिक्स स्ट्रक्चर नहीं देगी, या ऐसा कोई रूल नहीं है जो क्लीयरली बताए कि आज का प्राइस पिछले दिन की ओपनिंग के जितना ही होगा, या उससे ज्यादा होगा। इसलिए पिछले डाटा को देखकर प्लान बनाएं और अपने इंडिकेटर के साथ डिसिप्लिन से काम करें।
जिम्मेदारी लेना सीखे
हर नए ट्रेडर को अपने ट्रेड की जिम्मेदारी लेना सीखना होगा। ट्रेडिंग करना एक जिम्मेदारी का काम है। जिम्मेदारी का मतलब एक मां का अपने बच्चे की देखभाल करने जैसा है। आपको यह समझना होगा कि अपनी हर एक सफलता के लिए आप कितने जिम्मेदार हैं और कितने नहीं। ये माइंडसेट आपको सफल ट्रेडर की लिस्ट में ले जाएगा। ट्रेडिंग एक आर्ट है, जिसे आप जिम्मेदारी लेकर सीख सकते हैं। ट्रेडिंग को लेकर अपने नुकसान के डर को खत्म कर दें।
क्योंकि एक बार जब डर खत्म हो जाता है, तो गलती होने की पॉसिबिलिटी भी कम होने लगती है। सफल ट्रेडिंग के लिए एक सफल ट्रेडर की तरह सोचें। कई नई चीजें सीखें। लापरवाही और डर से जो गलतियां करते हैं उसे कम करें। अननेसेसरी एक्सपेक्टेशन को छोड़कर, फैक्ट के बेस पर डिसीजन लें। ट्रेडिंग पैसा कमाने का अच्छा सोर्स है। मगर सवाल यह है कि ट्रेडिंग के नुकसान होने पर आप कैसा फील करते हैं।
आपके पास स्किल्स कम हो तो चलेगा, लेकिन हम हमेशा एक विनिंग डिजायर होनी चाहिए। कभी-कभी डर के कारण अच्छे ट्रेड हाथ से निकल जाते हैं और ज्यादा लालच के कारण खराब ट्रेड गले पड़ जाते हैं। नए ट्रेडर के साथ अक्सर ऐसा होता है। जब कोई नया ट्रेडर प्रॉफिट कमा रहा हो तो ओवर कॉन्फिडेंस में ओवर ट्रेडिंग करके, या रूल्स ब्रेक करके अपना पैसा फिर से गवा देता है। मार्केट में 10 प्रतिशत ट्रेडर हमेशा पैसा कमाते हैं। 30 से 40 प्रतिशत ट्रेडर हमेशा नुकसान उठाते हैं, क्योंकि यह हमेशा मार्केट के अपोजिट खड़े होते हैं।
बाकी 40 से 50 प्रतिशत ट्रेडर पैसे कमाते हैं। लेकिन उन पैसों को अपने पास रख नहीं पाते। इसलिए कुछ ऐसे ट्रेडर्स शॉर्ट टर्म में लगातार पैसे कमाते हैं, लेकिन फिर अचानक से बहुत बड़ा लॉस कर देते हैं। इसलिए 10 प्रतिशत सफल ट्रेडर की तरह ओवर कॉन्फिडेंस और डर के बीच एक बैलेंस बनाते हुए ट्रेडिंग करें।
मार्केट को ट्रेडर की गलती या प्लान से कुछ लेना देना नहीं है। मार्केट हमेशा अपनी स्पीड से आगे बढ़ती है। इस स्पीड और बिहेवियर को समझने की जिम्मेदारी आपको लेनी होगी। जब आप अपने रिजल्ट की जिम्मेदारी खुद लेंगे तभी आप कुछ नया सीख सकते हैं। ट्रेडिंग एक थॉट प्रोसेस है और एक आर्ट भी है। जब आप ट्रेडिंग को एक आर्ट की तरह देखेंगे तभी ट्रेडिंग का मजा ले पाएंगे। ट्रेडिंग के लिए मेंटल स्टेबिलिटी डेवलप करें। ट्रेडिंग में आप लगातार जीत नहीं सकते, ट्रेडिंग करना हर टाइम एक स्ट्रगल की तरह होता है। इसलिए इसके लिए तैयार रहे।
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मार्केट बिहेवियर को समझे
नए ट्रेडर को मार्केट बिहेवियर को समझना बहुत ही जरुरी होता है। किसी एवरेज ट्रेडर की रिस्क लेने की कैपेसिटी उसके सबसे रिसेंट दो या तीन ट्रेड्स के रिजल्ट पर डिपेंड करती है। जबकि एक सफल ट्रेडर उनके पिछले ट्रेड से अफेक्ट या प्रभावित नहीं होते। चाहे वह गलत हो या सही। सफल ट्रेडर बिना किसी डर और ओवरकॉन्फिडेंस के मार्केट उन्हें ट्रेड के लिए क्या इन्विटेशन दे रही है, इसको समझ लेते हैं और प्रेजेंट अपॉर्चुनिटी पर ध्यान देते हुए ट्रेडिंग जोन में रहते हैं। वो इंस्टेंट लॉस और प्रॉफिट की परवाह नहीं करते।
चाहे कुछ भी हो जाए वह अपने प्लान पर डाउट किए बिना अपना काम कंटिन्यू करते हुए मार्केट में अवेलेबल प्रॉफिट अपॉर्चुनिटी का फायदा उठाने के लिए खुद को तैयार रखते हैं। वरन बुफे कहते हैं अपॉर्चुनिटी को हम बाहर से देखकर पहचान नहीं सकते, बल्कि इसके लिए आपको प्रॉफिट देखने वाला माइंडसेट डेवलप करना होगा। मार्केट में प्रॉफिट कमाने का एक ही तरीका है।
एक कम में ज्यादा क्वांटिटीज खरीदें और ज्यादा प्राइस में बेच दें। इसके साथ ही ट्रेडिंग के टाइम इन तीन गलतियों से बचने की कोशिश करें रिस्क को डिफाइन ना करना, खुद के नुकसान को कम ना करना, सही वक्त पर प्रॉफिट बुक ना करना। याद रखें मार्केट में कुछ भी हो सकता है। शेयर की कीमत दो चीजों या पावर से बदलती है। एक जो इन्हें खरीदने में देरी कर रहे हैं और दूसरे जो जल्दबाजी कर रहे हैं। इनमें कंपनी की वैल्यू, मैनेजमेंट और फाइनेंस काफी मैटर करते हैं। इसलिए किसी शेयर में ट्रेडिंग करते समय उस कंपनी की इन चीजों का भी ध्यान रखें।
ट्रेडिंग का दूसरा पहलु
ट्रेडिंग का एक दूसरा पहलु भी है, ट्रेडिंग में भी ज्यादा प्रॉफिट हो सकता है और जुए में भी। लेकिन जुए और ट्रेडिंग के बीच एक अंतर यह है कि जुए में आपके पास सही स्किल या माइंडसेट हो या ना हो आप जीत सकते हैं। लेकिन ट्रेडिंग में लॉन्ग टर्म में प्रॉफिट कमाने के लिए सही स्किल सेट माइंडसेट के साथ साथ सही प्लानिंग कि मार्केट किस पैटर्न पर अप या डाउन जा रही है, सभी जरूरी इंडिकेटर्स को देखना आना चाहिए, लॉस के रिस्क को मैनेज करना आना चाहिए, अच्छे ट्रेड के लिए परफेक्ट टाइमिंग को पहचानने की आर्ट होनी चाहिए, इन चीजों की भी आवश्यकता होती है।
मार्केट ट्रेंड को समझने के लिए आपको अपने खुद के इंडिकेटर सेट करने होंगे। जिनसे आप जल्दी और आसानी से उस ट्रेंड को समझ सकते हैं। अगर आपको कोई इंडिकेटर मार्केट में काम नहीं करता। तो इन दो इंडिकेटर को हमेशा यूज करें।
लालच में ज्यादा ट्रेड ना करें और डर के कारण अच्छे ट्रेड को मिस ना कर दें। ट्रेडिंग में पैसों के सिवाय कुछ भी दांव पर नहीं होता। इसलिए ऑथर कहते हैं कि मार्केट आपको जो दे रही है, उसे एक्सेप्ट करके, पास्ट की गलतियों से सीखकर, उस ट्रेंड को समझने के लिए एक इंडिकेटर बना लें और आगे बढ़ें।
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इसी के साथ ट्रेडिंग के इन बेसिक हिडन ट्रुथ को ध्यान में रखें। मार्केट में हर टाइम अननोन डिमांड और सप्लाई की एक तरह की शक्ति काम करती है। इसलिए मार्केट की स्थिति हमेशा बदलती रहती है। तो अपनी प्लानिंग में बाजार के बदलाव के अनुसार बदलाव करे। मार्केट में पैसा बनाने के लिए हर समय आगे क्या होने वाला है, यह जानने की जरूरत नहीं है। आप अपने प्लान के हिसाब से सब जरुरी चीजे करें। बाकी अपने आप हो जाएगा।
औसतन 20 में से 12 ट्रेड सफल होंगे और आठ गलत हो जाएंगे। लेकिन कब कौन सा ट्रेड प्रॉफिट या लॉस में आएगा, यह पता होने की जरूरत नहीं है। आप अपनी कैपेसिटी और समझ के साथ आगे बढ़ते रहे।
बाजार की ओर हमारी सोच
ट्रेडर को प्रॉफिट ओरिएंटेड सोच को विकसित करना होगा। जिस तरह के हमारी सोच होती हैं, हमारी ऊर्जा भी उसी तरफ बहने लगती है और हम उसी तरह से सोचते हैं और निर्णय लेते हैं। इसलिए आपको ट्रेडिंग के बारे में उस तरह की सोच को अपनाने की जरूरत है, जो प्रॉफिट ओरिएंटेड हो।
इंटरेस्ट और बिलीव्स एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। जिस तरह हमारी सोच यानि बिलीव्स होते हैं इंटरेस्ट भी उसी तरह बन जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ हमें जिन चीजों में इंटरेस्ट होता है, हम उसमें भरोसा करने लगते हैं। इसलिए अपने अंदर देखें और इन दोनों पर काम करें।
ट्रेडिंग के बारे में अपने इंटरेस्ट को ऐसी चीजों की तरफ मोड़े, जो सफल ट्रेडिंग की तरफ ले जाएं। हम विश्वास को अपने एक्शन के जरिए एक्सप्रेस करते हैं। इसमें हमारे इंटरेस्ट इंस्पिरेशन की तरह काम करते हैं और इनसे प्रभावित होकर हम जो कार्य करते हैं वह हमारे जीवन को आकर देता हैं। इसलिए ऑथर कहते हैं कि ट्रेडिंग में सफल होने के लिए आपको ट्रेड एनालाइज करना, स्टॉप लॉस और इन टर्म्स में इंटरेस्ट होना चाहिए।
अगर ट्रेडिंग करने में आपका इंटरेस्ट सच्चा और कंसिस्टेंट है, तो आप अच्छे रिजल्ट्स देखेंगे। ट्रेडिंग के बारे में अपनी रियल पोजीशन और इंटरेस्ट को समझने के लिए अपने आप से यह सवाल पूछते रहे कि आप सच में अपनी ट्रेडिंग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
हमारे इंटरेस्ट हमारे विचारो को गाइड करते हैं। हमारी सोच की तरह ही हमारा जीवन बन जाता है। और जैसा कि आपने जाना कि हम अपने बिलीफ यानि मान्यताओं से प्रभावित होकर सोचते और एक्शन लेते हैं। इसलिए हमारे अनुभव हमारे सबकॉन्शियस में बैठ जाते हैं और इसी तरह धीरे-धीरे हम उन्हीं चीजों को सोचना और करना शुरू कर देते हैं। जो हमारे बिलीफ से मेल खाते हैं और इस तरह यह हमारी जीनव को भी प्रभावित करने लगते हैं।
इसलिए अपने बिलीव्स और इंटरेस्ट को एनालाइज करके देखें कि क्या यह ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरफ एक्शन लेने के लिए गाइड करते हैं। अगर हां तो इन्हें जारी रखे, और अगर इसका जवाब न है तो इसे बदल दें।
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एक सफल ट्रेडर की मानसिकता अपनाये
ट्रेडर को एक सफल ट्रेडर का माइंडसेट अडॉप्ट करना होगा। ट्रेडिंग के टाइम ट्रेडर का सही माइंडसेट बहुत जरूरी है। ट्रेडिंग सिंपल होने के साथ ही अपने आप में मुश्किल है। क्योंकि ट्रेड लेने के बाद आगे क्या होगा। यह हमें पता नहीं होता। ऑथर सही ट्रेडिंग माइंडसेट को बनाने के लिए कुछ इन तकनीकों को अपनाने की सलाह देते हैं।
- मैकेनिक स्टेप – यह पहला स्टेप है। इसमें अनजान वातावरण में कमिटमेंट के साथ काम करने के लिए कॉन्फिडेंस डेवलप करें और समझौता किए बिना ट्रेडिंग करना सीखें। आगे की प्रॉफिट पॉसिबिलिटी को ढूंढने के लिए लास्ट चार्ट्स को देखें। कंपनी के बारे में जाने और मार्केट ट्रेंड को एनालाइज करते रहे।
- इंडिविजुअल लॉयल्टी स्टेप – अब कुछ सीखने के बाद आप उन्हें ट्राई करेंगे। इसमें सफल होने के साथ आप फेल भी हो सकते हैं। इसलिए इस स्टेप में अपनी गलतियों से सिखने और अपने आप में सुधार करने के लिए खुद का विश्लेषण करें और बदलाव करें।
- कंफर्टेबल स्टेप – इसमें अब तक बाहर से सीखी गई जानकारी और खुद से सीखी गई जानकारी के आधार पर अपने प्लांस और इंडिकेटर्स बनाकर ट्रेडिंग करें। शुरुआत के स्टेप में यह ना सोचे कि हर ट्रेड में बाहर निकलने से पहले अपने टारगेट पर आने में कितना टाइम लगेगा। बल्कि अच्छी टाइमिंग के साथ ट्रेड में एंटर करें, स्टॉप लॉस लगाएं और जो भी प्रॉफिट दिख रहा है, उसे बुक करें।
ट्रेडिंग इन द जोन फ्रेमवर्क
सबसे सफल ट्रेडर्स ट्रेडिंग को नंबर के खेल की तरह मानते हैं। यह वही माइंडसेट है जो दुनिया के सबसे सफल बिजनेसमैन, एथलीट्स और पोकर प्लेयर्स अपनाते हैं। नंबर गेम खेलने का मतलब है, इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग सिस्टम में एक ही प्रोसेस को कई बार और बार-बार दोहराना। जिसमें सफलता तक पहुंचने से पहले कई बार फेलियर मिलते हैं।
एक ट्रेडर को शॉर्ट टर्म रिजल्ट और लॉन्ग टर्म में मायने रखने वाले रिजल्ट के बीच का अंतर को समझना चाहिए। ट्रेडिंग से पैसा कमाने के लिए आपको यह जानने की जरूरत नहीं है कि मार्केट में आगे क्या होगा। सिर्फ यह समझने की जरूरत है कि मार्केट किस तरह काम कर रही है।
एनालाइज करके यह समझना है कि किन-किन स्थिति में मार्केट ज्यादातर प्रोडक्टिव तरीके से काम करेगी। कब ज्यादा प्रॉफिट कमाया जा सकता है और कब नुकसान होने के संभावना ज्यादा हैं और कम रिस्क लेना चाहिए। जब तक आप अपने दिमाग को हर तरीके की मार्केट कंडीशन अच्छी तरह से समझने के लिए ट्रेन नहीं करते तब तक प्रॉफिट देखने की अलग मानसिकता नहीं आएगी।
बाजार की अनश्चितता को स्वीकार करे
स्टॉप लॉस के लिए और प्रॉफिट बुक करने के लिए बाजार की अनश्चितता को स्वीकार करना जरुरी होता है। जब स्टॉप लॉस ऑर्डर किया जाता है, तो ऐसा इस कॉन्फिडेंस के साथ किया जाना चाहिए कि आपका अनुमान अनश्चित है और इसलिए यह पूरी संभावना है कि आपका ऑर्डर हिट होगा। इस विश्वास के साथ आप यह ये सुनिश्चित करेंगे कि अगर स्टॉप लॉस हिट होता है, तो यह फाइनेंशली और इमोशनली आपके लिए कोई प्रॉब्लम या दुख का कारण ना बने।
जब आप ऐसा करेंगे तो आपका माइंड अगला मौका देखने के लिए तैयार हो जाएगा। जब कोई ट्रेड प्रॉफिट में होता है तो आपको प्रॉफिट लेने के लिए अपनी प्री प्लान प्रॉफिट लेने की स्ट्रेटजी बनाए रखनी चाहिए। अगर कोई ट्रेड नहीं चल रहा है, तो उसे छोड़ दें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि एक ट्रेड आपके लिए काम करता है, या नहीं।
क्योंकि आपको भरोसा है कि स्ट्रेटेजी कई ट्रेडर्स के लिए लॉन्ग टर्म में काम करती है। तो आपके लिए भी करेगी। आपको हर ट्रेड को जीतने की जरूरत नहीं है। एक प्रोफेशनल ट्रेडर बनने के लिए आपको इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग सिस्टम में साइकोलॉजी और व्यक्तिगत माइंडसेट के महत्त्व को समझने की जरूरत है।
हर ट्रेड को खुद से एक्ट करने की परमिशन देना जरूरी है, ताकि संभावनाओं को काम करने के लिए जगह मिल सके। अगर कोई ट्रेडर अपने ट्रेडिंग सिस्टम के रूल को तोड़ता है। तो सफलता की लॉन्ग टर्म पॉसिबिलिटीज पर भरोसा करने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए आपने जो प्लान बनाया है उस पर टिके रहे। और मार्केट को भी अपना काम करने दें।
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डर और अतिआत्मविश्वास
ट्रेडर को अपने डर और अतिआत्मविश्वास को समझना होगा। कभी-कभी शुरुआत में ही या कुछ ट्रेड करने के बाद आप लगातार एक के बाद एक ट्रेड लूज करने लगते हैं। तो एक तरह का डर लगने लगता है। दोबारा अपनी प्रॉफिट पोजीशन पर पहुंचने के लिए आप लूजिंग ट्रेड में इन्वेस्ट कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करते रहने से एक पॉइंट पर आप पाएंगे कि ना तो आप अपना नुकसान रिकवर कर पाए ना एक्स्ट्रा प्रॉफिट हुआ।
फिर आप अगली बार ज्यादा प्रॉफिट कमाकर दोबारा प्रॉफिट पोजीशन में आने के लिए बड़ा रिस्क लेने के नजरिये से मार्केट का अभ्यास करते हैं। वहीं दूसरी तरफ शुरुआत में ही या कुछ समय बाद एक के बाद एक ट्रेड जीतने से कभी-कभी आप ओवर कॉन्फिडेंट हो जाते हैं।
लेकिन तब तक जरूरत से ज्यादा कॉन्फिडेंट होने की वजह से आप अपने ट्रेड अमाउंट को बढ़ा देते हैं। या रिस्क लेने वाले ट्रेड में इन्वेस्ट करना शुरू कर देते हैं। आपको ऐसा लगने लगता है कि आप जिस तरह ट्रेड कर रहे हैं, मार्केट उस डायरेक्शन में ही मूव हो रहा है और इस तरह लगातार सफलता मिलने से आपका कॉन्फिडेंस बढ़ने लगता है।
इस बारे में ऑथर कहते हैं कि यह स्वाभाविक मानव प्रवृत्ति है। मानव प्रवृत्ति के अनुसार काम करना कम फायदेमंद लेकिन ज्यादा रिस्की है। इसलिए आइए जानते हैं किन मानव प्रवृत्ति को नियंत्रित करके जितने वाले माइंडसेट को कैसे बनाये। इसके लिए फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस करें। फंडामेंटल एनालिसिस यह जानने में मदद करता है कि भविष्य में किसी कम्पनी की कीमत लगभग कितनी ज्यादा या कम हो सकती है। इसे जानकर आपको अपने फाइनेंशियल टारगेट को हासिल करने और ट्रेडिंग में बने रहने में मदद मिलेगी।
टेक्निकल एनालिसिस इस बात पर गौर करता है कि आपके चुने हुए शेयर का अब भी मार्केट में कैसा कार्य कर रहे है। पिछले कुछ महीनों और सालों में इसमें कितनी तेजी या गिरावट हुई है। यह तरीका ट्रेडर को इस बात पर ध्यान देने में मदद करता है कि चुने हुए ट्रेड के अतीत और वर्तमान के स्थिति के हिसाब से अभी उसमें इन्वेस्टमेंट करना ठीक है या नहीं। ऑथर कहते हैं कि एनालाइज करने का यह तरीका ज्यादा लॉजिकल और बेहतर है।
क्योंकि फंडामेंटल एनालिसिस सिर्फ एक नजरिया देता है कि अभी ट्रेड की क्या कीमत है और आने वाले कुछ टाइम में कितनी हो सकती है। जबकि टेक्निकल एनालिसिस अवेलेबल डाटा के बेस पर यह जानने में मदद करता है कि कितने पैसे इन्वेस्ट करने से कितने पैसे का लाभ हो सकता है। इसलिए यह अपने आप में प्रैक्टिकल तरीका भी है। यह इस फैक्ट पर आधारित होता है कि कुछ टाइम इंटरवल जैसे 5 साल, 10 साल या 20 साल में मार्केट एक ही तरह से व्यवहार करती है।
मतलब अगर पिछले 10 सालों में किसी शेयर की कीमत बढ़ी है तो उसी रेट से अगले 10 सालों में भी बढ़ने की संभावना है। इसलिए ऐसे ट्रेड्स में निवेश करना ज्यादा लाभदायक और कम रिस्की है। हर एक ट्रेडर जानता है कि जब वह कोई पोजीशन ओपन करता है, तो रिस्क की संभावना वहां भी होती है। क्योंकि कोई भी ट्रेड 100% सिक्योर और प्रॉफिटेबल नहीं होता।
इस बात को ध्यान में रखकर ट्रेडिंग करें। रिस्क लेने और कभी नुकसान हो जाने पर उसे एक्सेप्ट करने के लिए तैयार रहे। क्योंकि जब आप नुकसान को एक्सेप्ट करने के लिए तैयार रहेंगे, तो बिना डरे ट्रेड करेंगे और रिस्क को कम करके प्रॉफिट को ज्यादा से ज्यादा करने के प्लान बना पाएंगे।
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एक अच्छे ट्रेडर की आदते
अब हम अच्छे ट्रेडर की आदतों के बारे में बात करने वाले हैं। यह बिना पैसे गवाने के डर के साथ ट्रेड करते हैं। वो एक ही तरीके के साथ फंसे नहीं रहते। बल्कि जो तरीका काम नहीं करता, उसे एक्सेप्ट करके बेहतर तरीके ढूंढते रहते हैं। अगर उन्हें कोई नुकसान हो, तो बिना किसी इमोशनल अटैचमेंट के उस ट्रेड से बाहर निकल जाते हैं। इमोशनल अटैचमेंट के चक्कर में वह अपना फाइनेंशियल लॉस होने नहीं देते।
अगर आप रिस्क लेकर ट्रेड करने से डरते हैं, तो आप अभी अच्छे ट्रेडर बनने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि जितना ज्यादा रिस्क से बचने की कोशिश करेंगे। प्रॉफिटेबल ट्रेड से उतने ही दूर रहेंगे। क्योंकि प्रॉफिटेबल ट्रेड्स में भी रिस्क होता है इसलिए रिस्क लेने से ना डरें। बल्कि रिस्क को कम करने और प्रॉफिट को बढ़ाने के तरीके सीखें। इसके लिए इस तरह ठीक से मार्केट एनालाइज करें।
इस समय आपके पास दो विकल्प होते हैं। जितना ज्यादा हो सके मार्केट परिवर्तन को सीखकर रिस्क को कम करने की कोशिश करें, मार्केट परिवर्तन वो चीजे होती हैं जिनसे पता चलता है कि कोई ट्रेड कैसे परफॉर्म कर रहा है और आगे कैसे करने वाला है। जैसे उसकी मार्केट वैल्यू, डिमांड, सप्लाई, पीई रेशो, कंपनी सेल्स, कंपनी प्रॉफिट, लोन रिजर्व अमाउंट और इस तरह की चीजें अपनी ट्रेडिंग प्लानिंग इस तरह से बनाएं जिसमें जीतने के साथ हारने की संभावना भी शामिल हो।
उदाहरण के लिए मार्केट रिसर्च से आपको पता चलता है कि हर एक ट्रेड में 10 बार इन्वेस्ट करने से कम से कम एक बार प्रॉफिट हो जाता है। तो अपने पैसों को 10 बार इन्वेस्ट करने के लिए ऐसे प्लान करें कि नौ बार के नुकसान को झेल सके और एक बार प्रॉफिट से उसे कवर करते हुए प्रॉफिट कमाएं।
इस तरह का ट्रेडर माइंडसेट अपनाने से आप ट्रेडिंग अनसर्टेनटीज मार्केट ऊपर चला जाए, या नीचे गिर गए इसका सामना कर सकेंगे और ट्रेडिंग करना आसान होने लगेगा। अब आपको अपने सोच के साथ काम करना होगा। अपने सोच को प्रॉफिट ओरिएंटेड बनाते हुए ट्रेड करने के लिए इन बातों के बारे में क्लियर रहे।
ट्रेड लेने से पहले उसमें अपना उद्देश्य सेट कर लें कि कितने प्रॉफिट से आप उसे बेच देंगे इस तरह ट्रेडिंग से जुड़े हर कला यानि स्किल चाहे वह खरीदना हो, बेचना हो, या स्टॉप लॉस हो यह सब सीखने से पहले अपना क्लियर पर्पस डिसाइड कर लें कि उसे क्यों सीखना चाहते हैं, इससे आपको वह स्किल सीखने में मजा आएगा और अच्छी तरह से सीखकर उसे जल्द से जल्द अपने काम में अपना पाएंगे।
अपने आप को देखें और पता लगाएं कि रियल में सभी ट्रेडिंग से रिलेटेड आपको कौन-कौन सी स्किल्स आती हैं। और कौन सी सीखने की जरूरत है। अपने मुख्य उद्द्येश को पूरा करने के लिए मददगार चीजों को सबसे पहले सीखने को प्राथमिकता दें। उसके बाद कम जरुरी स्किल्स को सीखें। इसे लगातार करते रहे। ऐसा करने से आप शांत दिमाग से रहेंगे। शांत दिमाग का मतलब है विश्वास।
जब आप केयरफ्री माइंडसेट में होते हैं, तो किसी भी तरह के डर या दबाव को महसूस नहीं करते। क्योंकि आप अपने आप को मार्केट को समझने के काबिल बना रहे हैं। इसलिए आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव का डर नहीं होता। आप सीख जाते हैं कि चढ़ती और उतरती दोनों मार्केट में कम से कम रिस्क में ज्यादा प्रॉफिट कैसे कमा सकते हैं।
अस्वीकरण: यहां प्रकाशित किसी भी वित्तीय जानकारी को प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने की पेशकश या किसी भी तरह से सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। यहां प्रकाशित सभी जानकारी केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, यहां प्रकाशित जानकारी के आधार पर कोई भी वास्तविक निवेश निर्णय लेने से पहले पाठकों को एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए। कोई भी पाठक जो यहां प्रकाशित जानकारी के आधार पर निर्णय लेता है वह ऐसा पूरी तरह से अपने जोखिम पर करता है। इक्विटी बाज़ार में कोई भी निवेश अप्रत्याशित बाज़ार-संबंधित जोखिमों के अधीन है। लेखक का इस पेशकश में निवेश करने का इरादा नहीं है।
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